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14-सितंबर: “हिंदी दिवस”

आलेख

14-सितंबर: “हिंदी दिवस”

दिव्या गड़िया

🔹क्या कहता है अनुच्छेद 343
🔹आजादी से पहले भी हिन्दी भाषा ने संघर्ष किया और आज भी संघर्षरत है ।
🔹अनुच्छेद 351 आज की जरूरत ।

हिन्दी भाषा का इतिहास लगभग हजार वर्ष पुराना माना जाता है । जिसे आर्य भाषा या देव भाषा भी कहा जाता है। हिन्दी इसी आर्य भाषा संस्कृत की उत्तराधिकारिणी मानी जाती है। महात्मा गांधी ने 1917 में भरूच में गुजरात शैक्षिक सम्मेलन में अपने अध्यक्षीय भाषण में राष्ट्रभाषा की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा था कि भारतीय भाषाओं में केवल हिन्दी ही एक ऐसी भाषा है जिसे राष्ट्रीय भाषा के रूप में अपनाया जा सकता है ।क्योंकि यह अधिकांश भारतीयों द्वारा बोली जाती है । संविधान सभा ने लंबी चर्चा के बाद अनुच्छेद 343 के अंतर्गत 14 सितंबर 1949 को हिन्दी को भारत की राज भाषा के रूप में स्वीकारा ।

देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इस दिन के महत्व को देखते हुए 14 सितंबर को हिन्दी दिवस के रूप में मनाने को कहा था फिर साल 1953 से ही हिन्दी दिवस की शुरुआत हो गई।

“वक्ताओं की ताकत भाषा
लेखक का अभिमान है भाषा
भाषाओं के शीर्ष पर बैठी
हमारे प्यारी हिन्दी भाषा”

अनु० 351 – कहता है कि राजभाषा हिंदी का विकास व प्रसार इस प्रकार से किया जाए कि वह भारत की सामाजिक संस्कृति के सब तत्वों की अभिव्यक्ति का माध्यम बन सके। … इस अनुच्छेद के अनुसार राजभाषा का विकास और प्रसार इस ढंग से हो कि देश की सांस्कृतिक व भाषिक समरसता बनी रहे और राजभाषा हिंदी सभी घटकों की अभिव्यक्ति का माध्यम बने।

हिन्दी भाषा ने आजादी से पहले भी संघर्ष किया और आज भी संघर्षरत है कारण अंग्रेजी भाषा को अधिक महत्व दिया जाना, हिन्दी दिवस केवक एक औपचारिक दिवस के रूप में रह गया है । हिन्दी भाषा के प्रचार प्रसार के लिए एक औपचारिक दिवस ही नहीं होना चाहिए बल्कि हमें अपनी भाषा का अस्तित्व बनाए रखने के लिए बराबर प्रयास करते रहना चाहिए ।
इतिहास के पन्नों को पलट कर देखें तो विभिन्न महान साहित्यकारों ने हिंदी भाषा का संरक्षण एवं सम्मान बखूबी किया है । संरक्षण से तात्पर्य है हिंदी भाषा आज भी उन महान साहित्यकारों के पुस्तकों में सुशोभित है जिसे पढ़कर आज भी हम प्रेरणा लेते हैं और ज्ञान अर्जन करते हैं। हिंदी साहित्य का आधार है। साहित्यकारों की ताकत हिंदी भाषा है। वक्ताओं की शान हिंदी भाषा है बिन भाषा इंसान एक गूंगा प्राणी है । हिन्दी हमारे हृदय की भाषा है पूरे भारतवर्ष में केवल हिन्दी ही एक ऐसी भाषा है जो औपचारिक और अनौपचारिक रूप से प्रयोग की जा सकती है।

दिव्या गड़िया, देवाल( चमोली)

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