उत्तराखण्ड
2287 पदों पर सहायक अध्यापकों की भर्ती मामले में अमान्य प्रमाणपत्रों की जांच कर कार्रवाई के निर्देश।
संवादसूत्र देहरादून: प्रदेश में बेसिक के सहायक अध्यापकों की 2287 पदों पर चल रही भर्ती में शिक्षा निदेशालय ने अमान्य प्रमाणपत्रों के आधार पर चयन प्रक्रिया में शामिल उम्मीदवारों के प्रमाणपत्रों की जांच कर नियमानुसार कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।प्रदेश में चल रही शिक्षकों की भर्ती में अमान्य प्रमाणपत्रों के आधार पर शिक्षकों के चयन प्रक्रिया में शामिल होने का मामला सामने आया है। भर्ती में शामिल कुछ उम्मीदवारों की ओर से इस मामले में शिकायत की गई है कि जनवरी 2012 से 2018 के बीच कुछ उम्मीदवार बीएड होने के बावजूद खुद को द्विवर्षीय डीएलएड दर्शाते हुए केंद्रीय अध्यापक पात्रता परीक्षा में शामिल हुए।इसी तरह वर्ष 2015 और 2017 में भी बीएड अभ्यर्थियों ने खुद को डीएलएड दर्शाते हुए उत्तराखंड अध्यापक पात्रता परीक्षा के प्रमाणपत्र प्राप्त किए।
अवैध तरीके से प्रमाणपत्र प्राप्त करने के बावजूद इन उम्मीदवारों को चयन प्रक्रिया में शामिल किया गया है। विभागीय स्तर से कार्रवाई न होने पर कुछ उम्मीदवारों की ओर से इस मामले में पिछले साल हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी।हाईकोर्ट के आदेश पर शिक्षा निदेशालय ने 9 दिसंबर 2021 को अभ्यर्थियों के आवेदन का निपटारा करते हुए आदेश जारी किया कि वर्ष जनवरी 2012 से 2018 के बीच केंद्रीय अध्यापक पात्रता परीक्षा के आधार पर चयन प्रक्रिया में शामिल ऐसे अभ्यर्थी, जिनका चयन बीएड वर्ष की ज्येष्ठता एवं शैक्षिक गुणांकों की श्रेष्ठता के आधार पर हुआ है, उन्हें नियुक्ति पत्र जारी नहीं किए जाएंगे। जबकि अब निदेशालय ने चयन प्रक्रिया में बीएड प्रशिक्षण योग्यताधारी अभ्यर्थियों के शैक्षिक एवं प्रशिक्षण योग्यता संबंधित समस्त प्रमाणपत्रों की जांच कर शिक्षकों के चयन में नियमानुसार कार्रवाई का निर्देश जारी किया गया है।
टीईटी प्रमाणपत्र में स्पष्ट उल्लेख पर फिर भी नहीं देखा
उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद के अपर सचिव बृजमोहन सिंह रावत ने शिक्षा निदेशक को लिखे पत्र में कहा है कि 31 अगस्त 2016 से 28 जून 2018 के बीच दो बार अध्यापक पात्रता परीक्षा आयोजित की गई। इन परीक्षाओं में बीएड प्रशिक्षण योग्यताधारी अभ्यर्थियों को शामिल नहीं किया गया। परिषद की ओर से यह भी कहा गया है कि प्रमाणपत्र में प्रशिक्षण योग्यता का स्पष्ट उल्लेख किया गया है। वहीं टीईटी प्रमाण पत्र में कहा गया है कि अर्हता संबंधी कोई जानकारी गलत मिलने पर प्रमाण पत्र निरस्त कर अभ्यर्थी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी।
शिक्षक भर्ती में शामिल उम्मीदवारों के प्रमाणपत्रों की वैधता के संबंध में हाईकोर्ट के आदेश एवं उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद रामनगर नैनीताल के पत्र का संज्ञान लेते हुए प्रमाणपत्रों की जांच कर कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।