आलेख
एक अंधेरी शाम…
कहानी
【कल्पना डिमरी शर्मा】
रश्मि रोज़ की तरह शाम की वॉक पर निकली। आज काफी दिनो बाद वो शाम को बाहर आयी थी , इसलिए उसने ध्यान नही दिया कि अब अंधेरा जल्दी होने लगा है ।वो हमेशा पार्क के तीन चक्कर लगाती थी , पर आज दूसरे चक्कर में ही अंधेरा हो गया, जो लोग रश्मि को वॉक करते हुए मिलते थे वो लोग अब घर की तरफ़ जा रहे थे , उन लोगों ने अपना वॉक का समय ,शायद अंधेरा होने के हिसाब से बदल दिया था।अब रश्मि अकेले ही वॉक कर रही थी।
अंधेरा होने के वजह से उसे थोड़ी सी घबराहट होने लगी थी , छः महीने ही तो हुए थे उसे इस बड़े शहर में आए हुए। अभी शहर के तौर-तरीक़ों से, शहर के लोगों से अनजान थी । रास्ते में कुत्तों के भोंकने से भी रश्मि अब डर रही थी , वो जल्दी -जल्दी चलने लगी ।और सोचने लगी कि वो आज बस दो चक्कर कर के ही घर चली जाएगी। पर वो डर के मारे इतनी जल्दी जल्दी चल रही थी कि उसने तीसरा चक्कर शुरू कर दिया था और अब वो बीच रास्ते में थी ,पीछे जाती तो वहाँ तो कुत्ते भी थे और अंधेरा भी ज़्यादा था ,अब तो घर जाने के लिए उसे ये चक्कर पूरा करना ही था , तो वो तेज तेज चलने लगी ।तभी उसने देखा कोई बाइक उसकी तरफ़ आ रही है और फिर वो बाइक उसे क्रॉस करके आगे निकल गयी।फिर वो बाईक वापस आयी और फिर रश्मि को क्रॉस कर के आगे निकल गयी, फिर बाइक जब तीसरी बार रश्मि की तरफ़ आ रही थी ,तो अब वो बहुत घबरा गयी, उसने अपना मोबाइल पॉकेट में रख दिया, अपने गले में पड़ी सोने की चेन को छुपाने की कोशिश करने लगी , उसने ये सुना था कि शहर में बाइक सवार हाथ से मोबाइल छीन लेते है , गले से चेन छीन लेते है। वो तेज क़दमों से चलने लगी और अपने आप को कोसने लगी , क्यूँ समय का ध्यान नही रखा , अंधेरा होने से पहले घर क्यूँ नही चली गयी ।
अब रोड पर सिर्फ़ रश्मि और बाइक वाला ही थे ।रश्मि भागते हुए अपनी बिल्डिंग के पास पहुँची और सीढ़ियाँ चलने लगी , वो सीढ़ियाँ चढ़ ही रही थी कि उसने बाइक की आवाज़ सुनी जो उसी बिल्डिंग के नीचे आके रुकी, रश्मि और तेज़ी से सीढ़ियाँ चढ़ने लगी, उसकी साँस फूलने लगी , उसने देखा वो बाइक वाला भी सीढ़ियाँ चढ़ रहा है।
बड़ी मुश्किल से रश्मि अपने घर तक पहुँची,वो अपना दरवाज़ा खोलने लगी ,घबराहट में उससे सही चाबी ही नही लग रही थी वो ताला ही नही खोल पा रही थी ,इतनी देर में उसने सारे भगवानों को याद कर लिया था।
जैसे ही ताला खुला उसने फटाफट दरवाज़ा खोला , तभी पीछे से आवाज़ आयी “मैडम”….,रश्मि पीछे मुड़ी तो देखा वही बाइक वाला था अब तो वो इधर उधर कुछ ऐसा ढूँढ रही थी जिस से वो उसे मार सके,..बाइक वाला बोले जा रहा था “मैडम ..मैडम .. एक तो आपका घर बंद था ना आप फ़ोन उठा रही हैं और अब ना आप मेरी बात सुन रही हैं आपका पार्सल था रिटर्न के लिए मैं वही लेने आया हूँ फिर आप मेरी शिकायत कर दोगी कि मैं टाइम पर नहीं आया।”
ये सुन के रश्मि हक्कीबक्की रह गयी ,मोबाइल निकाल के देखा तो चार मिस्ड कॉल थी..वो बोली “ओह आप सामान लेने आए थे ,मैं तो पता नही क्या क्या सोच रही थी …” बोलते बोलते वो घर के अंदर गयी, सामान लेकर आयी और उस बाइक वाले को सामान दे दिया ..घर के अंदर जाके थोड़ी देर अपने आप पर हंसती रही और सोच रही थी अच्छा हुआ किसी ने उसे देखा नही, अगर ये बात घर वालों को पता चल गयी तो सब उसका मज़ाक़ उड़ाएँगे। और माँ तो उसे वापस ही बुला लेगी ।