उत्तराखण्ड
मार्ग में घोड़े-खच्चरों की मौत और अव्यवस्था पर हाई कोर्ट ने सरकार से पूछे सवाल।
संवादसूत्र देहरादून/नैनीताल: हाईकोर्ट ने चारधाम यात्रा में फैली अव्यवस्था और लगातार हो रही घोड़े-खच्चरों की मौतों के मामले दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने सरकार से तीन सप्ताह के भीतर विस्तृत जवाब पेश करने को कहा कहा है। अगली सुनवाई को 28 जुलाई की तिथि नियत की है।
बुधवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में समाजसेवी गौरी मौलेखी की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान सरकार ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने वैटेनरी डाक्टर के साथ अन्य सुविधाओं को बढ़ाया है। यात्रा मार्ग में पानी के साथ घायल घोड़ों की देखरेख की जा रही है। इस संबंध में एसओपी अभी शासन में लंबित है, जिसमें निर्णय लिया जाना है। सरकार ने यह भी बताया कि बदरीनाथ के लिए 16 हजार, केदारनाथ के लिए 13 हजार, गोगोत्री के लिए आठ हजार तथा यमुनोत्री के लिए पांच हजार श्रद्धालु प्रतिदिन भेजने का प्रस्ताव है। घोड़ापडाव गौरीकुंड में 500 जानवरों के लिए सेल्टर बनाया जा रहा है। केदारनाथ लिनचोली में हजार-हजार लीटर के दो सोलर गीजर स्थापित कर दिए है।
सरकार के जवाब से कोर्ट संतुष्ट नहीं हुई और कहा कि विस्तृत शपथपत्र पेश करें। कोर्ट ने पूछा है कि घायल जानवरों को रखने की क्या व्यवस्था है। अनफिट जानवरों का क्या हुआ। कब तक एसओपी को लागू किया जाएगा। कुल कितने लोगों और घोड़े-खच्चरों को जाने की अनुमति एक दिन में दी जा सकती है।
यह है याचिका–
याचिका में कहा गया है कि चारधाम यात्रा में अब तक 600 घोड़ों की मौत हो गई ।जिससे इलाके में बीमारी फैलने का खतरा बन गया है। जानवरों और इंसानों की सुरक्षा के साथ उनको चिकित्सा सुविधा देने की मांग करते हुए कहा है कि चारधाम यात्रा में भीड़ लगातार बढ़ती जा रही है। जिससे जानवरों और इंसानों को दिक्कतें आ रही है । जनहित याचिका में मांग की गई है कि यात्रा में उतने ही लोगों को अनुमति दी जाए ,जितने लोगों को खाने पीने रहने की सुविधा मिल सके।