उत्तराखण्ड
पीठ पर बेताल
मंजुला बिष्ट,
उदयपुर (राजस्थान )
माँ कहती थी
मृत्युप्रायः पिता को मुझे देखना भर था
बुबू राम नाम के साथ ब्रह्मलीन हुए
आमा सुबह उकड़ू सोयी शांत मिली
वाकशक्ति खो चुके छोटे चाचा ;
मृत्युगन्ध सूँघ बहुत कुछ लिख गए
मम्मी जी दिल हल्का कर गुज़र गई
पापा जी ने सोचने के बनिस्बत कहा बहुत कम
आईसीयू में माँ
मात्र एक उत्कट इच्छा कह घुप्प चुप थी!
जैसे,शब्द खर्चने का बहुत मलाल हुआ हो
दारुण था उसका फलित होना..
यह बात,वह मुझसे बेहतर जानती-समझती थी
माँ के गए सवा बरस रीत गया
सोचती हूँ
किसके बोल/चुप्पी ने गरिमा पायी
और कौन सा असंतुष्ट रहा
जब कोई सुनता ही नहीं हो
मानता ही नहीं हो
तो ऐसा क्यों कुछ कहा जाय
जिसकी स्मृतियों में लौटते हुए भी भय होता हो
जिन लोगों ने समझ ली हो
मृतकों के अंतिम बोल या घुप्प चुप्पी का व्याकरण
वे उनकी पीठ पर बेताल बन सवार रहतें हैं।
मंजुला