आलेख
बनारस: एक एहसास।
“ यहाँ के पान की मिठास, ठंडई की मस्ती, चाय की चुस्की और बनारसी साड़ियों की चमक—हर चीज़ में बनारस सांस लेता है। यहाँ की सुबह उतनी ही अलौकिक है जितनी इसकी रातें। घाटों पर बजती सारंगी और मंदिरों में गूंजते शंख—यहाँ का हर कोना एक अलग कहानी कहता है।”
✍️✍️✍️【राघवेंद्र चतुर्वेदी】

बनारस सिर्फ़ एक शहर नहीं, यह एक एहसास है, एक भाव है, एक ऐसा जादू जो आपकी आत्मा पर उतरता है और फिर आपको कभी लौटने नहीं देता। यहाँ की गलियों में सिर्फ़ रास्ते नहीं, कहानियाँ बहती हैं। घाटों पर सिर्फ़ पानी नहीं, इतिहास गूंजता है। मंदिरों में सिर्फ़ घंटे नहीं बजते, वहां श्रद्धा का संगीत गूंजता है।
सुबह की पहली किरण जब गंगा की लहरों से मिलती है, तो ऐसा लगता है मानो खुद ब्रह्मांड इस शहर के स्वागत में अपना आशीर्वाद बरसा रहा हो। दशाश्वमेध घाट पर गूँजती गंगा आरती जब हवा में घुलती है, तो हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाता है। यहाँ बहने वाली हवा में तुलसीदास की चौपाइयाँ, कबीर के दोहे और बीएचयू की ज्ञानधारा का स्पर्श महसूस किया जा सकता है।

बनारस आपको किसी न किसी रूप में बाँध लेता है। अगर आप एक यात्री हैं, तो इसकी गलियाँ आपको कभी भूलने नहीं देंगी। अगर आप आस्थावान हैं, तो काशी विश्वनाथ का द्वार आपको मोक्ष का अनुभव कराएगा। अगर आप कलाकार हैं, तो यह शहर आपको अपनी कला में घोल देगा। अगर आप जीवन के असली मायने खोजना चाहते हैं, तो मणिकर्णिका घाट पर जलती चिताएँ आपको वह सत्य दिखा देंगी जो किताबों में नहीं मिलता।
यहाँ के पान की मिठास, ठंडई की मस्ती, चाय की चुस्की और बनारसी साड़ियों की चमक—हर चीज़ में बनारस सांस लेता है। यहाँ की सुबह उतनी ही अलौकिक है जितनी इसकी रातें। घाटों पर बजती सारंगी और मंदिरों में गूंजते शंख—यहाँ का हर कोना एक अलग कहानी कहता है।
बनारस को आप जितना जानने की कोशिश करेंगे, उतना ही यह आपको अपने भीतर समेटता जाएगा। यह शहर आपका पीछा नहीं छोड़ता, बल्कि आपकी आत्मा में बस जाता है। यह आपको बदलता नहीं, बल्कि आपको वही बनाता है जो आप वास्तव में हैं। यही तो बनारस की खूबसूरती है—यह हर रूप में आपको अपना बना लेता है!
राघवेन्द्र चतुर्वेदी (बनारस)

