उत्तराखण्ड
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने की नवीन प्रदेश पदाधिकारियों एवं मोर्चा अध्यक्षों की घोषणा।
संवादसूत्र देहरादून: भट्ट की नई टीम में क्षेत्रीय जातीय समीकरणों में संतुलन साधने के साथ महिला और युवा चेहरों को प्रतिनिधित्व दिया गया है।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से हरी झंडी मिलने के बाद आज प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र प्रसाद भट्ट नई कार्यकारिणी की विधिवत घोषणा कर दी। भट्ट की नई टीम में क्षेत्रीय जातीय समीकरणों में संतुलन साधने के साथ महिला और युवा चेहरों को प्रतिनिधित्व दिया गया है।
भट्ट ने अपनी टीम में आठ प्रदेश मंत्री, तीन प्रदेश महामंत्री और आठ प्रदेश उपाध्यक्ष को जगह दी है। नई टीम में तीनों महामंत्री बदल दिए गए हैं। एक महामंत्री कुलदीप कुमार को उपाध्यक्ष बनाया गया है। साथ ही उपाध्यक्ष पद पर भी बदलाव किया गया है। लिस्ट निम्न तरह है,,
8 प्रदेश उपाध्यक्ष,
3 प्रदेश महामंत्री
1 कोषाध्यक्ष
1 सहकोषाध्यक्ष
शंशाक रावत – प्रदेश अध्यक्ष, युवा मोर्चा
श्रीमती आशा नौटियाल – प्रदेश अध्यक्ष, महिला मोर्चा
जोगेंद्र पुंडीर – प्रदेश अध्यक्ष, किसान मोर्चा
राकेश गिरी – प्रदेश अध्यक्ष, ओबीसीमोर्चा
समीर आर्य – प्रदेश अध्यक्ष , अनुसूचित जाति मोर्चा
इंतजार हुसैन – प्रदेश अध्यक्ष, अल्पसंख्यक मोर्चा
पुनीत मित्तल – कोषाध्यक्ष
खिलेंद्र चौधरी – प्रदेश महामंत्री
राजेन्द्र बिष्ट – प्रदेश महामंत्री
आदित्य कोठारी – प्रदेश महामंत्री
प्रदेश उपाध्यक्ष – बलवंत भौर्याल, कैलाश शर्मा, कुलदीप कुमार, डॉ कल्पना सैनी, श्रीमती नीरू देवी, मुकेश कोली, शैलेन्द्र बिष्ट, देशराज कर्णवाल
प्रदेश सह कोषाध्यक्ष – साकेत अग्रवाल
प्रदेश मन्त्री — श्रीमती मीना गंगोला, आदित्य चौहान, श्रीमती मीरा रतूड़ी, श्रीमती हेमा जोशी, डॉ लीलावती राणा, राकेश नैनवाल, विकास शर्मा, गुरविंदर सिंह कण्डोक
प्रदेश मीडिया प्रभारी – मनवीर चौहान
सोमवार को नई कार्यकारिणी को लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा के साथ प्रदेश अध्यक्ष भट्ट और प्रदेश महामंत्री संगठन अजेय कुमार की दो दौर की चर्चा हुई थी। नई दिल्ली में हुई दो अलग-अलग बैठकों में कार्यकारिणी में शामिल किए जाने वाले प्रत्येक चेहरे को लेकर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा ने प्रदेश संगठन से जानकारी ली।
इस दौरान गढ़वाल और कुमाऊं के क्षेत्रीय संतुलन के साथ जातीय समीकरणों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के चेहरों को कार्यकारिणी में प्रतिनिधित्व दिए जाने पर जोर दिया गया था।