उत्तराखण्ड
एम्स ऋषिकेश में मल्टी ऑर्गन ट्रांसप्लांट विभाग की मांग तेज।

संवादसूत्र देहरादून/ऋषिकेश: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा को पत्र लिखकर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) ऋषिकेश में ‘मल्टी ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन सर्जरी विभाग’ की स्थापना का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में एम्स ऋषिकेश में उन्नत चिकित्सा सेवाओं की मांग कई गुना बढ़ी है, विशेषकर अंगदान और प्रत्यारोपण सर्जरी के क्षेत्र में। इसी कारण गंभीर मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिनमें उत्तराखंड के साथ पड़ोसी राज्यों के मरीज भी शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने उल्लेख किया कि अंगदान के प्रति समाज में बढ़ती जागरूकता के चलते संभावित डोनर मामलों में महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की गई है। इसके बावजूद प्रदेश में मल्टी ऑर्गन प्रत्यारोपण की समुचित सुविधा उपलब्ध न होने के कारण किडनी, लिवर, पैंक्रियाज और हृदय प्रत्यारोपण के लिए मरीजों को अब भी अन्य राज्यों की यात्रा करनी पड़ती है। इस प्रक्रिया में समय की देरी और उपचार की बढ़ी हुई लागत मरीजों और उनके परिवारों के लिए गंभीर चुनौती बन जाती है।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि एम्स ऋषिकेश के पास उत्कृष्ट चिकित्सक, प्रशिक्षित तकनीकी स्टाफ, अत्याधुनिक उपकरण और मजबूत स्वास्थ्य आधारभूत संरचना पहले से मौजूद है। ऐसे में यहां ‘मल्टी ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन सर्जरी विभाग’ की स्थापना से न केवल जीवन रक्षक उपचारों की उपलब्धता बढ़ेगी, बल्कि उत्तराखंड और पूरे उत्तर भारत के मरीजों के लिए यह संस्थान एक प्रमुख ट्रांसप्लांट केंद्र के रूप में उभर सकेगा।
उन्होंने यह भी कहा कि हिमालयी क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए एम्स ऋषिकेश भौगोलिक रूप से सबसे उपयुक्त चिकित्सा केंद्र है। ऐसे मरीजों को अगर समय पर ट्रांसप्लांट की सुविधा मिलती है, तो उनकी जीवन रक्षा की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। इस कारण मल्टी ऑर्गन ट्रांसप्लांट विभाग की स्थापना प्रदेश की स्वास्थ्य प्रणाली के लिए एक ऐतिहासिक कदम होगी।
अपने पत्र में मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री से अनुरोध किया है कि जनहित को ध्यान में रखते हुए एम्स ऋषिकेश में इस महत्वपूर्ण विभाग की स्थापना के लिए उपयुक्त दिशा-निर्देश जारी किए जाएं। उन्होंने कहा कि इससे प्रदेश के हजारों मरीजों को उन्नत और समयबद्ध चिकित्सा सुविधा उपलब्ध होगी तथा बाहरी राज्यों पर निर्भरता भी कम होगी।




