उत्तराखण्ड
आपदा प्रभावित क्षेत्रों तक पहुँचाया रसद।
संवादसूत्र देहरादून : शुक्रवार मध्यरात्रि को घाटी में आई आपदा से करीब आठ किलोमीटर क्षेत्र में भारी तबाही मचाई है। आपदा के तीन दिन बाद भी जीवन पटरी पर नहीं लौटा। अपनों को खोने वाले गमगीन परिजनों के घरों में चूल्हे नहीं जल रहे हैं क्षेत्र के ऐसे परिवार के लिए जिला प्रशासन, एनडीआरएफ व एसडीआरएफ पके हुए भोजन व कच्चा राशन मुहैया करा रहे हैं। सोमवार को मालदेवता के लालपुल पर पीपीसीएल-सरखेत, घन्तु की सेर, सरकी गांव के प्रभावित परिवारों को कच्चा राशन, एलपीजी गैस चूल्हा, पीने का पानी आदि बांट रहे हैं। आपदा से सर्वाधिक प्रभावित घंतू की सेर गांव में तीन दिन बाद सोमवार सुबह आठ बजे जेसीबी मशीन व पोकलैंड पहुंच चुकी है। गांव में एक घर अभी भी टनों मलबे की नीचे दबा हुआ है। यहां तीन दिन से एनडीआरएफ व एसडीआरएफ की टीमें लापता पांच लोगों की तलाश कर रही है।
अब मशीनों से खोदाई के काम में तेजी आई है। इस भवन में रमेश सिंह का 16 वर्ष का बेटा विशाल व चचेरा भाई जगमोहन भी दबे होने की आशंका है। यह दोनों लोग शुक्रवार रात्रि को गांव के आसपास बादल फटने से मची तबाही के बाद से गायब हैं। जगमोहन की पत्री 29 वर्ष की सपना ने संपर्क करने पर कहा कि उनको अभी भी आशा है कि पति जीवित होंगे। परिवार का तीन दिन से रो-रोकर बुरा हाल है। गांव के युवक जगमोहन सिंह रावत ने बताया कि सरखेत गांव तक आज शाम विद्युत आपूर्ति बहाल होने की उम्मीद है। बांदल क्षेत्र में हल्की वर्षा हो रही है। जिससे राहत कार्यों में बाधा उत्पन्न हो सकती है। हालांकि हल्की वर्षा 12 बजे से ही शुरू हुई। सरखेत के प्रधान संजय कुमार ने कहा कि पांच गांवों में पका हुआ व कच्चा राशन बांटने में वह मदद कर रहे है ।