उत्तराखण्ड
‘ड्रग्स फ्री देवभूमि’’:नशा बेचने, फार्मा पदार्थों में मिलावट करने वालों पर अब संगीन धारा में ऑन द स्पॉट दर्ज होगा मुकदमा।

संवादसूत्र देहरादून: मुख्यमंत्री के विजन ‘‘ड्रग्स फ्री देवभूमि’’ के संकल्प को साकार करने के लिए जिला प्रशासन ने प्रभावी रणनीति तैयार कर दी है। जिलाधिकारी सविन बंसल की अध्यक्षता में बृहस्पतिवार को ऋषिपर्णा सभागार में जिला स्तरीय नारकोटिक्स को-ऑर्डिनेशन समिति की बैठक हुई। जिसमें नशीले पदार्थो के अवैध कारोबार पर अंकुश लगाने के लिए विभागों को समन्वय बनाते हुए प्रभावी कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए। जिलाधिकारी ने स्पष्ट कहा कि राजधानी में नशा तस्करों के लिए कोई जगह नहीं है।
जिलाधिकारी ने निर्देशित किया कि जनपद में संचालित दवा फैक्ट्री एवं मेडिकल स्टोर का निरंतर निरीक्षण करते हुए नशीले पदार्थो की रोकथाम हेतु सघन जांच की जाए। सभी मेडिकल स्टोर पर अनिवार्य रूप से सीसीटीवी स्थापित कराए जाए। जिलाधिकारी ने सीएमओ को पर्याप्त संख्या में ड्रग्स टेस्टिंग किट खरीदने और स्पेशल टास्क फोर्स के माध्यम से सभी सरकारी, गैर सरकारी कॉलेज, यूनिवर्सिटी और उच्च शिक्षण संस्थानों में वृहद स्तर पर ड्रग्स टेस्टिंग कराने के निर्देश दिए। इसके लिए डीएम ने स्वास्थ्य महकमे को मौके पर ही फंड स्वीकृत किया। डीएम ने कहा कि प्रत्येक माह नियमित रूप से एंट्री ड्रग्स गतिविधियों की समीक्षा की जाए। जिलाधिकारी की पहल पर जिला स्तर से पब्लिक हेल्पलाइन नबंर, डेडिकेटेड सेल बनाने की कवायद भी शुरू कर दी गई है। जिलाधिकारी ने स्कूलों में गठित एंटी ड्रग्स समिति को सीधे एसटीएफ से लिंक करवाने के निर्देश भी दिए है, ताकि एंटी ड्रग्स गतिविधियों का त्वरित कम्यूनिकेशन हो सके।
जिलाधिकारी ने समाज कल्याण अधिकारी को रायवाला ओल्ड एज होम को शीघ्र नशा मुक्ति एवं मानसिक स्वास्थ्य केंद्र के रूप में संचालित करने के निर्देश दिए। साथ ही अधिकारियों को सभी नशा मुक्ति केंद्रों का स्थलीय निरीक्षण करने और स्थानीय स्तर पर तैनात पटवारी व पुलिस से संचालित गतिविधियों की रिपोर्ट लेने को कहा। जिलाधिकारी ने विद्यालयों के आसपास एवं नशा के संभावित क्षेत्रों को चिन्हित कर सीसीटीवी कैमरे लगाने, निजी एवं शासकीय सभी शिक्षण संस्थानों में एंटी ड्रग्स कमेटी को सक्रिय करने, समितियों के नाम की सूची उपलब्ध कराने, नशीले पदार्थो के अवैघ कारोबार की सूचना देने हेतु शिक्षण संस्थानों एवं सार्वजनिक स्थानों पर बैनर, पोस्टर के माध्मय से मानस हेल्पलाइन नंबर 1933 और एनसीवी मानस पोटर्ल का व्यापक प्रचार प्रसार कराने और हेल्पलाइन पर प्राप्त होने वाली शिकायतों पर तत्काल एक्शन लेने के निर्देश दिए। ताकि नशे के अवैघ करोबार को जड़ से खत्म किया जा सके।
जिलाधिकारी ने मादक पदार्थो की डिमांड एवं सप्लाई चौन को तोड़ने के लिए एएनटीएफ, एसटीएफ, पुलिस, एनसीबी औषधि नियंत्रक सहित सभी प्रर्वतनकारी संस्थाओं को मिलकर काम करते हुए प्रवाभी कार्रवाई अमल में लाने के निर्देश दिए। जिलाधिकारी ने कहा कि विगत वर्षो का विशलेषण करते हुए मादक पदार्थो के कारोबार में सलिप्त नेटवर्क और लिंकेज का पता लगाया जाए। सड़कों पर यातायात नियमों की चौकिंग के दौरान ड्रग्स टेस्टिंग भी की जाए। मादक पदार्थों के प्रचलन को रोकने और इसके दुष्प्रभावों के बारे में वृहद स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम संचालित किए जाए। आशा वर्कर, सेविका, सहायिका के माध्यम से गांव-गांव तक नागरिकों को नशीले पदार्थों के सेवन से बचने के लिए जागरूक किया जाए। प्रत्येक नागरिक को मानस हेल्पलाइन नंबर एवं पोर्टल की जानकारी हो, ताकि कोई भी नागरिक इस अवैध कारोबार के बारे में आसानी से प्रशासन को सूचना दे सके।
बैठक में डीएफओ मंयक गर्ग, अपर जिलाधिकारी प्रशासन जय भारत सिंह, एसडीएम सदर हरिगिरी, एसडीएम स्मृता परमार, एसडीएम अपर्णा ढ़ौडियाल, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ मुकेश कुमार शर्मा, जिला आबकारी अधिकारी वीरेन्द्र कुमार जोशी, समाज कल्याण अधिकारी दीपांकर घिल्डियाल, ड्रग्स इंस्पेक्टर विनोद जगूडी, जिला शिक्षा अधिकारी प्रेमलाल भारती, तहसीलदार कालसी सुशीला कोठियाल सहित समिति के अन्य सदस्य मौजूद थे।

