उत्तराखण्ड
त्रिदिवसीय चिंतन और मनन शिविर में विविध विषयों पर विशेषज्ञ वक्ताओं ने रखे विचार।
संवादसूत्र देहरादून/टिहरी गढ़वाल: गत दिवस उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल के हेरवाल गांव में १०-११-१२ मार्च को आयोजित गांव वापसी संवाद – २०२३ में त्रिदिवसीय चिंतन और मनन शिविर में उत्तराखंड के बुद्धिजीवियों ने हिस्सा लिया और २०४७ तक उत्तराखंड को विश्व की ज्ञान और विज्ञानं की राजधानी बनाने हेतु अपने विचार प्रस्तुत किये।
ग्रीन स्कूल के संस्थापक वीरेंद्र रावत ने बताया कि सांस्कृतिक विविधता विश्व की सबसे बड़ी धरोहर है, पृथ्वी पर हजारों वर्षों से मौजूद कई सबसे अनोखी संस्कृतियां वैश्वीकरण, प्रौद्योगिकी, जलवायु परिवर्तन और पलायन के कारण लुप्त हो चुकी है और तेजी से बदलते वैश्विक आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य में कई देशों परंपराएं और संस्कृतियां लुप्त होने जा रही है, क्योंकि लोग अपनी परंपराओं को भूल गए हैं, माता पिता अपने बच्चो को अपने पूर्वजो की संस्कृति, संस्कारो और अनुभवों का ज्ञान देने में संकोच कर रहे है। नई पीढ़ी अपने पूर्वजो की भाषा, पारंपरिक भोजन, संगीत, कपड़े, सामाजिक संबंधों, अर्थव्यवस्था के श्रोतो, जनजातीय जीवन शैली से दूर होते जा रहे है।
उन्होंने कहा पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव के कारण पिछले कुछ वर्षों मेंभारतीय संस्कृति में बदलाव आ रहा है और पारंपरिक भारतीय घरों में कभी प्रचलित परंपराओं, रीति-रिवाजों और पारिवारिक मूल्यों को दूर करके पश्चिमीकरण दुनिया की सबसे पुरानी और समृद्ध संस्कृतियों में से एक को प्रभावित कर रहा है।
आज विश्व में अनुमानित 15,000 संस्कृतियाँ बची हुई हैं, जिनमे से कई संस्कृतियों की अखंडता का तेजी से क्षरण हो रहा है, जिसमे उत्तराखंड की संस्कृति, बोलिया और भाषाये भी शामिल है।
आधुनिकीकरण की चकाचौंध गरीब और मध्यम वर्ग को गांव से शहर की ओर पलायन करने को मजबूर कर रही है, रोजगार के अवसरों में कमी के कारण गांव की श्रमशक्ति क्षीण हो चुकी है। सामाजिक ढांचा, कृषि और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन जैसी ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं की धुरी चरमरा चुकी है।
भारत का हिमालयी राज्य उत्तराखंड पलायन के भयानक दंश से सबसे ज्यादा पीड़ित है, यंहा के निवासी जिनमे बुद्धिजीवी मीडिया, चुने हुए प्रतिनिधि अपनी नई पीढ़ियों के प्रति अपनी जबाबदारी और कर्तव्य से विमुख हो चुके है और शासन को दोष दे कर चुनौतियों से हार मान चुके है।
इस सब परिस्थितियों में यथास्थिति को बदलने और २०४७ तक उत्तराखंड के लिए विकास की नई मार्ग दर्शिका तैयार करने के लिए (जिसमे गाँवो का समावेशी विकास भी शामिल हो ) उत्तराखंड के गांवो की चिंता करने वाले बुद्धिजीवी वर्ग को गत १०-११ – १२ मार्च को टिहरी गढ़वाल के हेरवाल गांव में गांव वापसी संवाद – २०२३ के तहत चिंतन और मनन करने हेतु आमंत्रित किया गया था।
इस त्रिदिवसीय संवाद में विविध विषयो पर आधारित कुल १२ सत्रो में विविध विषेशज्ञ वक्ताओं ने अपने विचार रखे। कार्यकर्म का धेय प्रतिपलायन के बाद उत्तराखंड को विश्व के मस्तिष्क का गौरव वापस दिलाने की दिशा में सभी उत्तराखंडवासियों का आह्वान किया गया ।
उद्घाटन सत्र वक्ता:
सुरेश सेमवाल जी, मुख्य पुजारी, श्री गंगोत्री धाम, मुखवा, उत्तरकाशी स्वामी जनार्दननंद सरस्वती, तपोवन कुटीर उजेली उत्तरकाशी, स्वामी हरिब्रह्मेद्रनन्द तीर्थ – कुट्टी स्वामी सोम आश्रम उजेली उत्तरकाशी , अजयपुरी जी, महंत, काशी विश्वनाथ मंदिर, उत्तरकाशी,
लक्ष्मी प्रसाद सेमवाल पुजारी, श्री सेम नागराजामंदिर, मुखेम
आचार्य भाष्करानंद अन्थवालजी माँ ज्वाल्पा ज्योतिष केंद्र श्रीनगर गढ़वाल,
श्री आचार्य प्रदीप कोठारी जी भागवताचार्य, उत्तरकाशी।
प्रथम सत्र-
पलायन निवारण- पलायन निवारण – ग्रामीण अर्थव्यवस्था में उभरते अवसर, ढांचागत सुविधाएं एवं आधुनिक टेक्नोलॉजी।
वक्ता
राम प्रकाश पैन्यूली, सदस्य उत्तराखंड ग्राम्य विकास एवं पलायन निवारण आयोग उत्तराखंड सरकार, श्री सुनील बहुखंडी जी (पूर्व सैनिक) अध्यक्ष, देवभूमि सांस्कृतिक संरक्षण एवं संवर्धन परिषद, कोटद्वार, पौडी गढवाल।
श्री गिरीश पंत जी बजरंगी भाईजान, प्रवासी भारतीय सम्मानित, दुबई, संयुक्त अरब अमीरात श्री हर्षमणि नौटियाल जी अध्यक्ष, बहु उदेशीय सरहकारी समिति, घनसाली, टिहरी गढ़वाल श्री भगवती प्रसाद सेमल्टी जी कोषाध्यक्ष, भारतीय मजदूर संघ, देहरादून,श्री चंद्र कैंतुरा जी संस्थापक, संवाद – ३६५ उत्तराखंड
द्वितीय
राजनीती अवसर एवं चुनौतियां, राजनीतिक मूल्य, जनअधिकार, लोकतंत्र, समानता, स्वतंत्रता, न्याय, शक्ति, नेतृत्वकला, समाज व्यवस्था, चुनाव एवं प्रतिनिधित्व, राजनीतिक अर्थव्यवस्था, राजनीतिक भागीदारी और सामाजिक संतुलन।
वक्ता:-
श्री किशोर उपाध्याय जी माननीय विधायक, टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड,श्री विक्रमसिंह नेगी जी माननीय विधायक प्रतापनगर, टेहरी गढ़वाल, उत्तराखंड श्री राकेश राणा जी अध्यक्ष, जिला कोंग्रेस समिति, टिहरी, डॉ. कु. स्वराज विद्वान राष्ट्रीय मंत्री – अनुसूचित जाति मोर्चा, भारतीय जनता पार्टी गढ़वाल
तृतीय सत्र:
संस्कृति – लोक कलाएं, गायन, वादन, नृत्य, आचार- विचार, संस्कार-व्यवहार परम्पराएं, त्यौहार, पोशाक, खेलकूद, आभूषण, परंपरागत भोजन एवं स्थापत्य
वक्ता:
श्री भवानी प्रताप सिंह जी संरक्षक, टेहरी गढ़वाल संग्रहालय, देहरादून श्री महावीर रवांल्टा जी साहित्यकार व रंगकर्मी संभावना-
श्री सुरेश चंद्र बलूनी जी संस्कृति प्रचारक पौड़ी गढ़वाल श्री शिवजनी जी (जिन्होने पं. नेहरू के समक्ष राजपथ में वेद नृत्य कला का प्रदर्शन किया ) ग्राम ढुंग पोस्ट बगियाल गांव, ग्यारहगांव, टेहरी गढ़वाल डॉ प्रकाश चंद्र जी ग्राम दोनी, पोस्ट मेघाधार टिहरी गढ़वाल।
चतुर्थ सत्र
साहित्य / आध्यात्मिकता – धर्म, दर्शन, वेद विज्ञानं, ज्योतिष, योग,भाषाएं, बोलियाँ, इतिहास, दर्शन, लोक साहित्य, लेखन, लोक कथाएं, कहानियां, कविता, चित्र कला, मूर्तिकला, फोटोग्राफी, फिल्म निर्माण, पाक कला ललित और प्रदर्शन कलाएँ, पत्रकारिता, जीवन वृतांत, सांस्कृतिक अध्ययन, धार्मिक अध्ययन, दर्शन एवं जनजातीय अध्ययन वक्ता श्री मनोज इष्टवाल जी, वरिष्ठ पत्रकार अध्यक्ष, नेशनल सोशल मीडिया जर्नलिस्ट एसोडिएशन।
डॉ. धीरेन्द्र रांगड़ मनोवैज्ञानिक एवं दार्शनिक ऋषिकेश आचार्य बिपिन जोशी जी संस्थापक, दून योग पीठ देहरादून डॉ. पवन शर्मा जी संस्थापक और अध्यक्ष, फॉरगिवनेस फाउंडेशन सोसाइटी देहरादून श्रीमती प्राची रतूड़ी जी लेखक एवं स्वतंत्र पत्रकार दिल्ली।
पंचम सत्र
आपदा प्रबंधन – प्राकृतिक एवं मानवसृजित आपदा, संकेतीकरण, शमन एवं प्रबंधन, जन- जानवर संघर्ष, आदमखोर बाघो का नियंत्रण और बचाव के लिए प्रशिक्षण एवं वानरों का नियंत्रण।
वक्ता
श्री अजय गैरोला जी प्राध्यापक (से. नि), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रूड़की, उत्तराखंड श्री जॉय हुकिल जी अधिकृत मानवभक्षी बाघ शिकारी,उत्तराखंड
डॉ. अनिल नौटियाल जी संस्थापक, एंजेल इंटरनेशनल
अकादमी, उत्तरकाशी डॉ. प्रेम सिंह पोखरियाल जी जनरल फिजिशियन, जिला चिकित्सलय उत्तरकाशी श्री मनोज अग्रवाल, प्रिंसिपल आर्किटेक्ट, मनोज अग्रवाल आर्चीटेक्ट्स, देहरादून।
षष्टम सत्र –
अर्थ व्यवस्था- साहसिकता, निवेश की संभावनाए एवं अवसर, कौशल, रोजगार, व्यापार, उद्योग, कर प्रणाली, पशु पालन, कृषि, बागवानी एवं वािवानिकी वक्ता
श्री प्रेमचंद शर्मा जी पद्मश्री प्रगतिशील कृषक, देरादून श्री रूप सिंह रावत जी कृषि उत्साही, पौड़ी गढ़वाल श्री नीरज बवाड़ी जी संस्थापक, उत्तरायणी, अल्मोड़ा श्री जगमोहन राणा जी बागवानी व्यवसायी उत्तरकाशी डॉ राजेंद्र कुकसाल जी सलाहकार कृषि/बागवानी देहरादून,
उत्तराखंड डॉ. अरविन्द बिजल्वाण जी विभागाध्यक्ष, कृषि वानिकी उत्तराखंड औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय रानीचौरी,
श्री विजयेश्वर प्रसाद डंगवाल जल उद्यमी – घराट श्रंखला, उत्तरकाशी
श्री सुनील दत्त कोठारी जी फाउंडर एवं सेक्रेटरी-कोठारी पर्वतीय विकास समिति पौड़ी गढ़वाल श्री दिनेश पाल सिंह गुसाईं जी उड़ान फाउंडेशन, कोटद्वार
सप्तम सत्र
शिक्षा – निवेश के अवसर – गुणवत्ता उपलब्धता, नवाचार, गुरु शिष्य सम्बन्ध, शिक्षकों की रूचि, कौशल।