उत्तराखण्ड
वनों को भी देवताओं का दर्जा देते हैं: राज्यपाल।
संवादसूत्र देहरादून: एफआरआई देहरादून में आयोजित वनों पर संयुक्त राष्ट्र फोरम (यूएनएफएफ) को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने इस सम्मेलन में 30 देशों के 55 प्रतिनिधियों एवं 20 संगठनों के 41 प्रतिभागियों का उत्तराखंड आने पर हार्दिक स्वागत किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड स्वयं देवताओं की भूमि है, उत्तराखंड में व्याप्त दिव्यता और पवित्रता किसी भी मंथन के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करती है।
राज्यपाल ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड में भारत द्वारा वनों पर संयुक्त राष्ट्र मंच के तहत देश के नेतृत्व वाली बैठक की मेजबानी करना उत्तराखंड की गौरवशाली उपलब्धि है। राज्यपाल ने कहा कि इस तरह के आयोजनों से उत्तराखंड की आध्यात्मिक और प्राकृतिक सुंदरता वैश्विक मंच तक पहुंचेगी।
राज्यपाल ने कहा कि अपने नामानुकूल, देवभूमि उत्तराखंड में हम अपने वनों को भी देवताओं का दर्जा देते हैं , हमने अपने वनों को बचाने के लिए ‘चिपको आंदोलन’ जैसे आंदोलन किए हैं, राज्यपाल ने चिपको के समान ही राजस्थान में चलाए गए ‘बिश्नोई आंदोलन’ का भी जिक्र करते हुए कहा पूरे भारत में ही हमने वनों के संरक्षण के लिए आवश्यक कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा की हम सभी को चुनौतियों से पार पाना होगा, अपने पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा करनी होगी और स्थिरता और पर्यावरणीय प्रबंधन की एक स्थाई विरासत छोड़नी होगी।
राज्यपाल ने कहा कि अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और पारिस्थितिकी त्रिशूल के 3 शूल की तरह हैं जो हमारी दिव्य स्थिति को आकार देते हैं। ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के कारण पैदा होने वाले संकट से निपटने के लिए इन तीनों को मिलकर काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा की कंट्री-लेड इनिशिएटिव (सीएलआई) में चर्चाएं महत्वपूर्ण प्रासंगिकता रखती हैं, विशेष रूप से वर्तमान जलवायु और पर्यावरणीय संकटों को देखते हुए जिनका हम सामना कर रहे हैं। वन हमारे अस्तित्व की जीवन रेखा हैं और इन्हें पोषित किया जाना चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि हमारे वेलनेस सेंटर, पर्यटन और धार्मिक स्थल सभी के लिए एक अद्वितीय और विविध गंतव्य प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि एकात्म की भावना से, मैं गर्व से यह कह सकता हूं कि उत्तराखंड में सभी के लिए कुछ न कुछ है। राज्यपाल ने इस सम्मेलन में प्रतिभाग कर रहे सभी प्रतिभागियों से कहा कि आप हमारे ब्रांड एंबेसडर हैं, उन्होंने सभी को उत्तराखंड में हमारी विविधताओं को अनुभव करने के लिए एक पर्यटक के रूप में वापस आने का न्योता भी दिया।
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