उत्तराखण्ड
इंटर्नशिप में बंक नहीं मार पाएंगे भावी चिकित्सक।
प्रत्येक प्रशिक्षु की अब बायोमेट्रिक उपस्थिति अनुपस्थिति पर बढ़ेगी इंटर्नशिप की अवधि।
संवादसूत्र देहरादून: बीएएमएस/ बीयूएमएस उत्तीर्ण अभ्यर्थी इंटर्नशिप के दौरान बंक नहीं मार पाएंगे। प्रत्येक प्रशिक्षु की अब बायोमेट्रिक उपस्थिति होगी। उपस्थिति या अन्य प्रकरण संतोषजनक नहीं पाए जाने पर उनका स्थाई पंजीकरण खतरे में पड़ सकता है। भारतीय चिकित्सा परिषद, उत्तराखंड ने सभी संबंधित अधिकारियों को इस बाबत पत्र भेजा है।
परिषद के अध्यक्ष डा. जेएन नौटियाल ने बताया कि बीएएमएस/ बीयूएमएस उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को एक वर्ष की रोटेटिंग इंटर्नशिप शुरू करने से पूर्व परिषद से अस्थाई पंजीकरण प्राप्त करना होता है। जिसके बाद वह छह माह आयुर्वेदिक व छह माह एलौपैथिक चिकित्सालयों मेें इंटर्नशिप करते हैैं। यह इंटर्नशिप इन अभ्यर्थियों के प्रायोगिक ज्ञान के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। पर यह देखने में आया है कि इंटर्नशिप को अभ्यर्थी गंभीरता से नहीं लेते। चिकित्सालय भी इन प्रशिक्षुओं की उपस्थिति व प्रशिक्षण को एक औपचारिकता मानकर अधिक ध्यान नहीं देते हैैं। जिससे प्रायोगिक ज्ञान के अभाव में आयुर्वेदिक स्नातकों की गुणवत्ता पर प्रतिकूल असर पड़ता है। भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग (एनसीआइएसएम) ने आयुर्वेदिक स्नातकों की उत्कृष्ट गुणवत्ता के लिए 2021 बैच से नेक्स्ट (नेशनल एक्जिट एग्जाम) अनिवार्य कर दिया है। साथ ही राज्यों को निर्देशित किया है कि इस बाबत उचित कार्रवाई करें। ऐसे में बीएएमएस/ बीयूएमएस उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की इंटर्नशिप के दौरान उपस्थिति, ओपीडी ड्यूटी, रात्रि ड्यूटी, केस हिस्ट्री आदि को लेकर अनिवार्य व्यवस्था बनाई गई है। जिसके लिए सभी मुख्य चिकित्साधिकारी, जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी, जिला चिकित्सालयों के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज के प्राचार्य व अधीक्षक को पत्र भेज दिया है। इस व्यवस्था के तहत प्रत्येक चिकित्सालय में एक वरिष्ठ चिकित्सक को इंटर्न के लिए अधिकृत किया जाएगा। प्रत्येक प्रशिक्षु की बायोमेट्रिक उपस्थिति की व्यवस्था की जाएगी। इंटर्नशिप अवधि में अवकाश देय न होने के कारण अनुपस्थित दिनों की प्रशिक्षण अवधि बढ़ा दी जाएगी। इंटर्नशिप पूरी होने पर प्रमाणित उपस्थिति प्राचार्य को भेजी जाएगी। वहीं, प्रशिक्षुओं का मानदेय (सरकारी कालेजों में ) उपस्थिति सत्यापित होने के बाद ही आहरित किया जाएगा। इसके अलावा भारतीय चिकित्सा परिषद, उत्तराखंड की ओर से नियुक्त समिति समय-समय पर औचक निरीक्षण कर इसकी जांच करेगी।