आलेख
“उठो हमारा सलाम ले लो”
प्रतिभा की कलम से
क्या ख़ूबसूरत इत्तेफ़ाक है कि वैलेंटाइन डे के दिन ही आज हिंदी सिनेमा की वीनस कही जाने वाली मधुबाला जी का भी जन्मदिन है। शोख़, चुलबुली अदाओं के साथ-साथ साथ संजीदा अभिनय में भी माहिर करोड़ों दिलों की धड़कन मधुबाला का दिलीप कुमार साहब के साथ असफल प्रेम और किशोर कुमार से शादी के किस्सों से उनके सभी चाहने वाले अच्छी तरह वाक़िफ हैं।
मधुबाला के दिल में सुराख़ जरूर था। लेकिन इसके बावजूद भी वह आम आदमियों से कहीं बड़ा दिल रखती थीं। उनके दौर में महाराष्ट्र में एक बार बहुत बड़ा भूकंप आया था। मधुबाला ने तुरंत पचास हजार रुपए का चेक आपदा राहत कोष में जमा करने को दे दिया ।
आज भी मधुबाला के चाहने वाले उनके बारे में जगह-जगह कुछ- ना- कुछ ढूंढते रहते हैं, मगर इस बात की जानकारी वाला मेरी नजर में कोई नहीं। मैंने दूरदर्शन पर उनका वह बहुत पुराना इंटरव्यू देखा है जिसमें भूकंप पीड़ितों के लिए इतनी बड़ी राशि दान करने पर गृहमंत्री उनसे बातचीत कर रहे हैं।
आप लोग समझ सकते हैं कि उस जमाने में पचास हजार रुपए कितनी बड़ी रकम मानी जाती होगी, वह भी तब जब उनके पिता की नजर हमेशा उनके पैसे पर रहती थी। मधु के पास जिंदगी कम बची है सोचकर उनके पिता अत्ताउल्लाह खान ने हमेशा उन्हें पैसे कमाने की मशीन से ज्यादा कुछ नहीं समझा।
नौ बरस की छोटी उम्र से लेकर सत्ताइस बरस तक हिंदी फिल्मों को अपने एक से एक ख़ूबसूरत किरदारों से नवाज़ने वाली मधुबाला की अशोक कुमार,राज कपूर, प्रेमनाथ, शम्मी कपूर, किशोर कुमार, भारत भूषण जैसे नायकों के साथ हिट जोड़ी रहने के बाद भी दिलीप कुमार के साथ उन्हें सबसे ज्यादा पसंद किया गया। इन दोनों के अभिनय से सजी “मुग़ले-आज़म” को हिंदी सिनेमा का सबसे बड़ा शाहकार माना जाता है,जबकि उन दिनों वो दिलीप साहब और अपने रिश्ते में आई तल्ख़ियों के साथ-साथ दिल के सुराख़ वाले दर्द से भी बुरी तरह जूझ रही थीं। लेकिन दर्द ने मानो उनके हुस्न और अभिनय पर ओस छिड़कने का काम किया। उनके चाहने वालों का ये सवाल जैसे उन्हीं के लिए -“कोई बता दे दिल है जहां/क्यों होता है दर्द वहां” ?