आलेख
‘हमको मन की शक्ति देना मन विजय करें’
सिनेमा
गुड्डी फिल्म के इस गीत में दो मोटी-मोटी चोटी वाली छोटी सी शरारती जया जी को देखकर किसको न अपने स्कूल के दिन याद आ जाएं । हम सबके अंदर की चुलबुली गुड्डी को जया भादुरी ने अपने अभिनय से जीवंत कर दिया । इसके ठीक विपरीत ‘कोशिश’ फिल्म में वह गूंगी बनी हैं लेकिन नाक को उंगली से दाबने पर उनके मुंह से निकले ‘मां’ स्वर पर जिस तरह दीना पाठक चौंक जाती हैं, उसी तरह दर्शक बार-बार भी चौंकते चले गए उनकी अभिनय प्रतिभा से । हिरन जैसी आंखें और चेहरे पर बिल्कुल बच्चों जैसी हंसी के अंदाज में उन्होंने जितेंद्र के साथ ‘परिचय’, विजय आनंद के साथ ‘कोरा कागज’, राजेश खन्ना के साथ ‘बावर्ची’ , अनिल धवन के साथ ‘पिया का घर’ , विजय अरोड़ा के साथ ‘फागुन’ , धर्मेंद्र के साथ ‘गुड्डी’, ‘समाधि’, मनोज कुमार के साथ ‘शोर’, संजीव कुमार के साथ ‘नया दिन नई रात’ , ‘कोशिश’, ‘अनामिका’, ‘नौकर’, और अमिताभ बच्चन के साथ ‘मिली’, ‘अभिमान’ ‘चुपके-चुपके’, ‘जंजीर’ और ‘शोले’ फिल्म में अपने संजीदा अभिनय का परिचय बख़ूबी दिया। इस तरह उनकी फिल्में देखने का यह सिलसिला बढ़ते-बढ़ते ‘सिलसिला’ तक पहुंच गया। और तब पता चला कि जिन्हें हम जया भादुरी कहते हैं, वह शादी के बाद जया बच्चन हो चुकी हैं।
हे भगवान! मुझे बहुत बुरी लगी यह बात कि असल जिंदगी में अमिताभ ही जया जी के पति हैं क्योंकि मैं तो उनका होने वाला दूल्हा संजीव कुमार को बना चुकी थी। संजीव कुमार का सरल,सहज और हर रोल में दिल छू जाने वाले अभिनय का जया जी के साथ बेहतरीन साम्य होने के कारण लगता था कि जैसे संजीव कुमार उन्हीं के लिए बने हैं।
अमिताभ,अमिताभ हैं , लेकिन कई फिल्मों में संजीव कुमार ने उनके साथ काम करते हुए भी अपने अभिनय के अलग आयाम स्थापित किए, इसलिए दोनों के बीच मुकाबला कहीं नहीं। एंग्री यंग मैन अमिताभ मुझे तब जरा अच्छे लगे थे जब जंजीर फिल्म में जया को प्रपोज करता उनका ये अंदाज़ दिल लुभा गया-
‘आज मैं तुमसे बात वह बात कहना चाहता हूं जो दुनिया में लाखों बार कही गई और हजारों बार सुनी गई, लेकिन मैंने तुमसे अब तक नहीं कहा । आई लव यू’ ! ..और झटके के साथ अमिताभ का वहां से निकल जाना ।
जया जी आज भी मेरी फेवरेट हैं। और अब यह भी मालूम है कि जंजीर की रिलीज के बाद ही 3 जून 1973 को वह अमित जी के साथ विवाह बंधन में बंध गई थीं। अपने दो बच्चों अभिषेक और श्वेता के साथ ही बहू ऐश्वर्या, पोती आराध्या के साथ वो फिल्म समारोहों और विभिन्न आयोजनों के जरिए अपने चाहने वालों से रू-ब-रू होती रहती हैं। “ग्रेसफुली ओल्ड” होने की छवि में चार चांद लगाती हुई सी बालों की सफेदी भी अच्छी लगती है। मगर सितारों का तिलिस्म कुछ ऐसा ही होता है शायद कि दादी-नानी बन जाने की उम्र तक भी छोटी सी ‘गुड्डी’ मानकर हम उनके लिए नायक तलाश करते रहते हैं।
बहरहाल शादी की सालगिरह पर अमित और जया जी को बहुत-बहुत मुबारकबाद।