उत्तराखण्ड
“मैं अपने उस घमंडपूर्ण उद्बोधन के लिए क्षमा चाहता हूँ”:हरीश रावत।
संवादसूत्र देहरादून: कल प्रेस कॉन्फ्रेंस में थोड़ी गलती हो गई, मेरा नेतृत्व शब्द से अहंकार झलकता है। चुनाव मेरे नेतृत्व में नहीं बल्कि मेरी अगुवाई में लड़ा जाएगा। मैं अपने उस घमंडपूर्ण उद्बोधन के लिए क्षमा चाहता हूं, मेरे मुंह से वह शब्द शोभा जनक नहीं है।
इससे पहले शनिवार को उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा है कि कभी पीड़ा व्यक्त करना भी पार्टी के लिए लाभदायक होता है। शनिवार को उन्होंने मीडिया से बात की। कहा कि जैसे बीसीसीआई है वैसे ही एआईसीसी भी मालिक है। जो पार्टी के प्रभारी हैं वह कोच हैं, लेकिन कप्तान का भी अपना स्थान है। इन तीनों के बीच एक विश्वास और समझ का रिश्ता होना चाहिए। मैंने जो भी कहा वह जीतने के लिए कहा। इसके साथ ही हरीश रावत ने विधानसभा चुनाव को लेकर कुछ सुधार की भी बात कही। हरीश रावत ने कहा कि अगर चुनाव जीतना है तो कुछ सुधार भी करने होंगे।
हरीश रावत ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की शुभकामनाओं के ट्वीट पर कहा कि मैं उनकी शुभकामनाएं स्वीकार करता हूं। मुझे लगता है कि कहीं न कहीं उन्हें अभी भी लग रहा है कि कांग्रेस छोड़ना एक गलती थी। जैसे अमरिंदर सिंह अपने मालिक का अनुसरण कर रहे हैं वैसे ही मनीष तिवारी भी सिर्फ अपने मालिक (अमरिंदर) का अनुसरण कर रहे हैं।हरीश के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ेगी कांग्रेस ,हरीश रावत के ट्वीट के बाद दिल्ली दरबार में लगी पंचायत में रावत की वरिष्ठता पर फिर मुहर लग गई है। चुनाव प्रचार अभियान के अध्यक्ष के तौर पर रावत की ही अगुवाई में चुनाव लड़ा जाएगा। जबकि मुख्यमंत्री का फैसला चुनाव के नतीजे आने के बाद ही होगा। उत्तराखंड से पहुंचे नेताओं की पहले राहुल गांधी के साथ अलग अलग मुलाकात हुई, फिर सामूहिक रूप से महासचिव संगठन केसी वेणुगोपाल के साथ बैठक हुई। बैठक के बाद एक साथ बाहर आए नेताओं ने संदेश दिया कि सब ठीक है।
हरीश रावत ने कहा कि तय हुआ है कि मैं सीएलपी लीडर के तौर पर काम करूंगा और सब लोग उस काम में सहयोग देंगे। हरीश रावत ने संगठन के कामकाज और अपनी उपेक्षा को लेकर जो सवाल उठाए थे, उन्हें लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के आवास पर तीन घंटे तक मैराथन बैठक हुई। राहुल ने सबसे पहले हरीश रावत को अकेले बुलाकर उनका पक्ष जाना। बताते हैं कि रावत को इस बात पर ऐतराज था कि पार्टी के कुछ वरिष्ठ पदाधिकारी उनकी उपेक्षा कर रहे हैं। रावत ने हाल में लिए गए कुछ फैसलों का हवाला भी दिया, जिनमें उन्हें अलग थलग रखा गया।जानकारी के मुताबिक राहुल गांधी ने स्पष्ट तौर उन्हें आश्वस्त किया कि चुनाव उनकी अगुवाई में ही होगा, लेकिन मुख्यमंत्री पर फैसला परंपरा के अनुरूप विधायक ही तय करेंगे। पार्टी किसी को बतौर सीएम चेहरा प्रोजेक्ट कर चुनाव नहीं लड़ेगी। राहुल ने रावत के बाद प्रभारी देवेंद्र यादव से भी करीब आधा घंटे बातकर उन सवालों के जवाब टटोले जो रावत ने उठाए थे। प्रभारी ने राज्य के अन्य नेताओं और अपना पक्ष रखा। इसके बाद बारी बारी यशपाल आर्य, प्रीतम सिंह, प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल, पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय, सांसद प्रदीप टम्टा, राज्य की सह प्रभारी दीपिका पांडेय, विधायक काजी निजामुद्दीन, गोविंद कुंजवाल, करण माहरा ने भी अपनी बात रखी।