उत्तराखण्ड
IFS संजीव के लोकपाल में प्रतिनियुक्ति के मामले में CAT ने की तल्ख टिप्पणी, कहा- आठ सप्ताह में निर्णय ले केंद्र सरकार।
संवादसूत्र देहरादून/नैनीताल: केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) की नैनीताल सर्किट बैंच ने भारतीय वन सेवा के चर्चित अधिकारी व मुख्य वन संरक्षक (अनुसंधान) हल्द्वानी संजीव चतुर्वेदी की लोकपाल पद पर प्रतिनियुक्ति मामले में सुनवाई की। कैट ने आठ सप्ताह के भीतर निर्णय लेने के आदेश केंद्र सरकार को दिए हैं। ट्रिब्यूनल ने कहा है कि संजीव की ओर से लोकपाल संस्था में प्रतिनियुक्ति के लिए 2019 में आवेदन किया गया था।आवेदन को उत्तराखंड सरकार ने अनापत्ति प्रमाण पत्र प्रदान करते हुए अपनी संस्तुति 23 दिसंबर 2019 को भेज दी थी। तब से केंद्र स्तर पर यह निर्णय लंबित क्यों है।
कैट की नैनीताल बैंच के न्यायिक सदस्य प्रतिमा गुप्ता व प्रशासनिक सदस्य तरुण श्रीधर की पीठ ने 26 मई को मामले में सुनवाई पूरी कर निर्णय सुरक्षित रखा था। एक सितंबर को निर्णय सुनाया गया। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार का कहना था कि लोकपाल पद के लिए कोई विज्ञापन नहीं निकला है। विज्ञापन की प्रति उपलब्ध कराने पर ही केंद्र निर्णय लेगा। जबकि आइएफएस संजीव ने सूचना का अधिकार अधिनियम के माध्यम से प्राप्त दस्तावेज ट्रिब्यूनल के समक्ष पेश किए। जिसमें लोकपाल के कार्यालय ने बताया कि लोकपाल प्रतिनियुक्ति के लिए कभी भी विज्ञापन नहीं निकाला। लोकपाल की स्थापना से अब तक पिछले तीन साल में अखिल भारतीय सेवा के तमाम अधिकारियों को प्रतिनियुक्ति पर तैनाती दी गई।
ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में केंद्र सरकार को लेकर बेहद तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा है कि- ‘कोर्ट इस तथ्य से आश्चर्यचकित है कि प्रतिनियुक्ति के प्रत्यावेदन में निर्णय लेने से संबंधित सीधे-साधे मामले को अनावश्यक रूप से जटिल बना दिया और आरोप-प्रत्यारोप की झड़ी लगा दी।’ ट्रिब्यूनल ने 15 दिसंबर को पारित उस आदेश की भी याद दिलाई, जिसमें केंद्र सरकार को आइएफएस संजीव के मामले में उदारता व खुलापन दिखाने का अनुरोध किया था। ट्रिब्यूनल ने यह भी कहा है कि अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी होने के नाते संजीव केंद्र सरकार या उसके अंतर्गत स्वायत्त संस्थान में प्रतिनियुक्ति के लिए योग्य हैं। पब्लिक अथारिटी होने के नाते उनके अनुरोध पर निर्णय लेने को केंद्र सरकार बाध्य है।
ट्रिब्यूनल ने आदेश में यह भी स्पष्ट किया है कि विचार विमर्श की प्रक्रिया व निर्णय की प्रक्रिया हर हाल में आठ सप्ताह में पूरी होनी चाहिए। यदि केंद्र सरकार को लगता है कि इस प्रतिनियुक्ति पर निर्णय लेने को लोकपाल सक्षम है तो इसी अवधि के भीतर संजीव के प्रकरण को लोकपाल के पास भेज दिया जाए।