उत्तराखण्ड
तीसरे प्रयास में पहुंचे मंजिल तक,अलग करने के जुनून ने दीपेश को यूपीएससी में दिलाई सफलता।
संवादसूत्र देहरादून: चमन विहार निवासी दिपेश की प्रारंभिक शिक्षा एन मैरी स्कूल से हुई। उन्होंने वर्ष 2015 में 85 प्रतिशत अंकों के साथ बारहवीं उत्तीर्ण की। इसके बाद डीआइटी विवि से बीटेक किया। इसके बाद उनकी नौकरी अशोक लेलैंड में लग गई। जीवन में सबकुछ मन मुताबिक चल रहा था कि तभी कोरोना की दस्तक हुई। लाकडाउन के दौरान उन्हें भी वर्क फ्राम होम करना पड़ा
।वैश्विक महामारी कोरोना ने असंख्य लोगों का जीवन बदल दिया। किसी के लिए कोरोना अभिशाप बन गया तो किसी के जीवन में सकारात्मक बदलाव दिखा। लाकडाउन और वर्क फ्राम होम कल्चर ने दून निवासी इंजीनियर दिपेश सिंह कैड़ा को कुछ अलग सोचने का अवसर दिया।उनका इरादा बदला और वह इंजीनियरिंग छोड़कर सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में जुट गए। आखिरकार वह तीसरे प्रयास में सफल रहे और सिविल सेवा परीक्षा में 86वीं रैंक हासिल की है।
2015 में 85 प्रतिशत अंकों से पास की बारहवीं
चमन विहार निवासी दिपेश की प्रारंभिक शिक्षा एन मैरी स्कूल से हुई। उन्होंने वर्ष 2015 में 85 प्रतिशत अंकों के साथ बारहवीं उत्तीर्ण की। इसके बाद डीआइटी विवि से बीटेक किया। इसके बाद उनकी नौकरी अशोक लेलैंड में लग गई। जीवन में सबकुछ मन मुताबिक चल रहा था कि तभी कोरोना की दस्तक हुई।
लाकडाउन के दौरान उन्हें भी वर्क फ्राम होम करना पड़ा। भविष्य की अनिश्चितता के बीच कई तरह के भाव मन में थे। उनके ताऊ की बेटी नम्रता और उनके पति अतुल कुमार आइआरएस अधिकारी हैं। जिन्होंने उन्हें सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए प्रेरित किया।तीसरे प्रयास में हासिल की कामयाबी
दिपेश ने अपने तीसरे प्रयास में कामयाबी हासिल की। उनके पिता उत्तम सिंह कैड़ा सीएजी में आडिट अफसर हैं। मां पुष्मा गृहिणी हैं। जबकि बहन दीप्ति कैड़ा एक आइटी कंपनी में नौकरी कर रही हैं। दिपेश की सफलता से पूरा परिवार खुश है। वहीं, उनके घर भी बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है।