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बेसमेंट में फंसे भारतीय छात्रों को हंगरी के रास्ते निकालने पर काम कर रहा भारत।

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बेसमेंट में फंसे भारतीय छात्रों को हंगरी के रास्ते निकालने पर काम कर रहा भारत।

संवादसूत्र देहरादून(एजेंसी): यूक्रेन के बॉर्डर शहर खार्कीव में रूसी जेट्स और टैंकों की गोलाबारी के बीच करीब 15 हजार भारतीय छात्र फंसे हुए हैं। जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा है, उनकी बेचैनी बढ़ती जा रही है। स्टूडेंटस ने बेसमेंट, बंकर और यहां तक कि अंडरपास में पनाह ले रखी है। अपने घरों से हजारों किलोमीटर दूर भूखे प्यासे इन छात्रों ने अपने जीवन में कभी ऐसे बुरे हालात की कल्पना भी नहीं की थी।

भारतीय एंबेसी की कोशिश है कि इन छात्रों को किसी तरह निकाल कर पड़ोसी देश हंगरी भेजा जाए, जहां से इन्हें भारत लाया जा सके। यह खार्कीव की नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी के छात्र हैं। ये शहर रूस की सीमा से करीब 35 किलोमीटर दूर है। अधिकतर लोग शहर छोड़कर जा रहे हैं, लेकिन ये भारतीय छात्र कहीं जा नहीं सकते इसलिए एक बेसमेंट में छिपे हुए हैं। शहर के अधिकतर लोग भी बेसमेंट में ही हैं।

खार्कीव नेशनल यूनिवर्सिटी में 15 हजार से अधिक छात्र पढ़ते हैं। ये सभी बेसमेंट में हैं। कुछ ने सुरक्षित शहरों की तरफ जाने की कोशिश भी की है। हालात खराब होने की भनक होने पर सबने चार-पांच दिन का खाने का सामान खरीदा। बीती रात तीन बजे एक बड़ा धमाका हुआ। उसके बाद से धमाकों का सिलसिला जारी रहा। सभी लोग वापस जाने के लिए टिकट भी नहीं खरीद पा रहे हैं। यहां के एयरपोर्ट पर रूस का कब्जा हो चुका है तो उड़ानें बंद हैं। भारत से जो उड़ान छात्रों को लेने आ रही थी, वो वापस जा चुकी है।

छात्रों ने कहा कि वे भारतीय दूतावास से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिल पा रहा है। कुछ छात्र अपनी कोशिशों से लौटे भी हैं, लेकिन अधिकतर वहीं हैं। पिछले कुछ दिनों में यहां हालात तेजी से खराब हुए हैं और हर बीतते घंटे के साथ और खराब होते जा रहे हैं। सभी छात्र एकजुट तो हैं, लेकिन बहुत ज्यादा डरे हुए हैं।

हॉस्टल में रहने वाले सभी भारतीय छात्र अब बेसमेंट में हैं। यहां करीब दो हजार भारतीय छात्र हैं, जो हॉस्टल खाली कर चुके हैं। यहां एक अंडरपास है, उसके नीचे भी बच्चे छुपे हुए हैं। इस अंडरपास के नीचे सभी सुरक्षित हैं।शहर के रहने वाले अधिकतर लोग जा चुके हैं। बहुत से लोग पोलैंड चले गए हैं।

यूक्रेन की सरकार की तरफ से भी अभी कोई मदद नहीं मिली है। एंबेसी की तरफ एक संदेश मिला है, जिसमें बताया गया है कि भारतीय सरकार हंगरी के रास्ते भारतीय छात्रों को निकालने के प्रयास कर रही है।

छात्रों ने भारत सरकार से अपील की हैं कि वो उनके हालात को समझे और उन्हें जल्द से जल्द यहां से बाहर निकालने के प्रयास करे।सभी छात्र अपने घर पर बात कर रहे हैं और सरकार की तरफ से जानकारी का इंतजार कर रहे हैं।

यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन की तरफ से उनसे कहा गया है कि शांत रहें और अपना ख्याल रखें। ये दिखाने की कोशिश की जा रही है कि पैनिक नहीं है, लेकिन सच ये है कि वहां उनके हालात बहुत खराब हैं।

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