उत्तराखण्ड
अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी उत्तराखंडी सम्मेलन – तृतीय /चतुर्थ सत्र।
- विदेशों में रोजगार अवसरों का लाभ उठाएं उत्तराखंड के युवा
- कोदा झिंगोरा उगाएंगे, उत्तराखंड को आगे बढ़ाएंगे
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संवादसूत्र देहरादून: अन्तर्राष्ट्रीय प्रवासी उत्तराखंडी सम्मेलन के तीसरे सत्र में कौशल विकास और विदेश में रोजगार की संभावना पर विचार विमर्श किया गया।
उच्च शिक्षा सचिव डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने सत्र की विषय वस्तु रखते हुए बताया कि सरकार उत्तराखंड के युवाओं के कौशल विकास पर जोर दे रही है। आईटीआई में उद्योगों की जरूरत के अनुसार रोजगार परख कोर्स संचालित किए जा रहे हैं। साथ ही राज्य में नई शिक्षा नीति भी लागू कर दी गई है। ब्रिटिश यूनिवर्सिटी वियतनाम, में हेड एकेडमिक क्वालिटी प्रोफेसर डॉ ज्योत्सना घिल्डियाल बिजल्वाण ने कहा कि हमारे युवा आज भी उच्च शिक्षा के लिए बाहर जा रहे हैं, यह एक तरह से प्रतिभा पलायन है। उन्होंने कहा कि प्रतिभा में आगे होने के बावजूद, हमारे युवा भाषा के स्तर पर पिछड़ रहे हैं, साथ ही हमारे शिक्षण संस्थान अब भी ग्लोबल स्टैंडर्ड से पीछे हैं। इसे ठीक किया जाना होगा। आईआईटी दिल्ली के प्रो एसके साहा ने कहा कि तकनीकी का प्रयोग, गांवों के विकास में किया जाना चाहिए। ब्रिटिश यूनिवर्सिटी वियतनाम में एआई के प्रोफेसर अंचित बिजल्वाण ने कहा कि ज्यादातर विदेशी शिक्षण संस्थान प्रोजेक्ट आधारित शिक्षण करवा रहे हैं, भारत में भी शिक्षण प्रणाली को बदलना होगा।
विदेश के नियम कायदें भी बताएं
यूएई से आए प्रवासी उत्तराखंडी गिरीश पंत ने कहा कि विदेश में रोजगार के लिए स्किल के साथ ही युवाओं को संबंधित देश के नियम कायदों की भी सही जानकारी देनी चाहिए। खासकर जालसाजों के जरिए, विदेश जाने की प्रवृत्ति के खतरों के प्रति हमें लोगों को उजागर करना होगा। कौशल विकास विभाग में विदेश रोजगार प्रकोष्ठ की कॉर्डिनेटर चंद्रकांता ने बताया कि प्रदेश सरकार युवाओं को विदेश में रोजगार प्राप्त करने के लिए प्रशिक्षण दे रही है। इसके तहत जापान में कई युवाओं को रोजगार प्रदान किया जा चुका है। अब जर्मनी ओर ब्रिटेन में रोजगार के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान (ईडीआईआई) अहमदाबाद के डॉ अमित दिवेदी ने कहा कि संस्थान युवाओं में उद्यमिता विकास के लिए हर तरह से प्रशिक्षण और सहायता दे रहा है।
स्टार्टअप में निवेश करें प्रवासी
आईआईटी रुड़की के प्रो. आजम खान ने कहा कि आज उत्तराखंड में स्टार्टअप के लिए बहुत संभावना हैं। इसमें प्रवासी समुदाय मदद कर सकता है। खासकर स्टार्टअप के मैंटोरशिप में प्रवासी मददगार हो सकते हैं सनफौक्स टेक्नोलॉजी के सह संस्थापक रजत जैन ने कहा कि उत्तराखंड में स्टार्टअप के लिए शानदार ईको सिस्टम है, युवाओं को इसका लाभ उठाना चाहिए। सत्र का संचालन दून विवि की वीसी प्रो सुरेखा डंगवाल ने किया।
- अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी उत्तराखंड सम्मेलन विशेष-चतुर्थ सत्र।
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अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी उत्तराखंड सम्मेलन के चतुर्थ सत्र में कृषि व ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि उत्तराखंड आंदोलन के दौरान एक नारा खूब लगता था-कोदा, झिंगोरा खाएंगे, उत्तराखंड बनाएंगे। अब बदली हुई स्थिति में नारा बदल गया है। नया नारा है-कोदा झिंगोरा उगाएंगे, उत्तराखंड को आगे बढ़ाएंगे।
चतुर्थ सत्र में अपने संबोधन में जोशी ने कहा कि जहां तक जैविक खेती का सवाल है, आज करीब 40 फीसदी तक हमारी खेती जैविक है। इस साल हम इसे 50 फीसदी तक ले जाने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहे हैं। पिछले चार वर्षों से हमें जैविक खेती में प्रथम पुरस्कार मिल रहा है। प्रधानमंत्री का आभार प्रकट करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होेंने मिलेट्स को बढ़ावा दिया है। उन्होंने कहा कि मिलेट्स के लिए उत्तराखंड में बेहद उपयोगी स्थिति मौजूद है। उन्होंने कहा कि हम कृषि क्षेत्र में नई तकनीक का प्रयोग कर रहे हैं। 2027 तक हम अपना उत्पादन दुगना करने के लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने बागवानी के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों, उपलब्धियों के बारे में भी विस्तार से बात की।
सचिव दीपेद्र कुमार चौधरी ने कहा कि राज्य में छह एरोमा वैली प्लांट डेवलप किए जा रहे हैं। एरोमा पार्क काशीपुर में 40 एकड़ भूमि पर इत्र से संबंधित प्रोसेस यूनिट को एक जगह पर लाने का निर्णय महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि एरोमा वैली पालिसी प्रारूप तैयार है, जिसे दो-तीन महीने में अनुमोदन प्राप्त हो सकता है। उन्होेंने बताया कि कीवी के उत्पादन को मिशन मोड में लेकर कार्य किया जाएगा।
काश्तकारों ने बताई सफलता की कहानी
काश्तकार बलबीर सिंह कांबोज ने बताया कि वह 18 एकड़ भूमि पर फूलों की खेती करते हैं। यहां की जलवायु अच्छी है। इस व्यवसाय के लिए सारी स्थितियां अनुकूल हैं। उन्होंन कहा कि प्लास्टिक के फूलों को सीमित करना चाहिए। प्राइवेट कंपनी चला रहे चंद्रमणि कुमार ने बताया कि उनकी कंपनी ने 18 राज्यों में 40 हाइड्रोपोनिक फार्म बनाए हैं। युगांडा में भी काम कर रहे है।
मधुमक्खी पालन व्यवसाय कर रहे अतर सिंह कैंत्यूरा ने कहा कि हमारे जंगल मधुमक्खी पालन के लिए उपयुक्त हैं। उत्तराखंड में बहुत पहले से इस संबंध में काम किया जा रहा है। जौजीकोट में देश का पहला मधुमक्खी बाॅक्स बना था।
नैनीताल की आरोही संस्था के पंकज तिवारी ने कहा कि विकास में संतुलन जरूरी है। उन्होंने मशरूम उत्पादन, शहद उत्पादन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मिश्रित खेती उत्तराखंड के लिए अच्छी है, क्योंकि पहाड़ काफी असिंचित खेती है। मृदा का स्वास्थ्य वैसा ही रखना है, जैसे हम अपने स्वास्थ्य को रखते हैं।
एक प्राइवेट कंपनी संचालित कर रहे मनमोहन भारद्वाज ने कहा कि कलस्टर मे काम किया जाना ज्यादा लाभदायी है। उन्होंने बताया कि उनके स्तर पर 200 बीघा जमीन पर काम किया गया है। चतुर्थ सत्र में मेहमानों का स्वागत ग्राम्य विकास आयुक्त अनुराधा पाॅल ने किया। सत्र का संचालन आर्गनिक बोर्ड के एमडी विनय कुमार ने किया। इस मौके पर प्रवासी उत्तराखंडियों और मेहमानों का सम्मान भी किया गया।
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