आलेख
किथै चलिए…सौंणू दिदा और मधुली बौजी।
व्यंग्य
हरदेव नेगी
रात का खाना खाने के बाद सौंणू दिदा अपने कमरे में गए और बैड में बैठकर इंस्टाग्राम चलाने लग गए, बनी बनी के रंगमत और रोमांटिक करने वाले रील्स वीडियो देखने लगे,,,,,, इतने में रात्रि के बर्तन धोकर मधुली बौजी आई और सोफे में बैठकर बालों पर तेल लगाने लगीं, कुछ महिलाएं रात्रि में अपने बालों को संवारती हैं,,,, बल दिन में धूल मिट्टि लग जाती है, ऐसा उनका मानना है।।।। मधुली बौजी की खुली लटुल्यों के बीच स्वांणी मुखड़ी को देखकर सौंणू दिदा का प्रेमप्रंसग भरा उन्माद जाग उठा,,,,,,,
और फोन को बंद करके रोमांटिक मूड़ बनाकर फिल्मी गाना गाने लगे….! और बौजी की तरफ हाथों का इशारा करते हुए कहने लगे :- ” तेरी मेरि गल्लां होगी मशहूर, ना करना मुझे तुम नजरों से दूर किथै चलिए ओए किथै चलिए” ,,,,,,,,,! दिदा की हरकत देखकर बौजी ने कंघी जमीन पर थीड़ी और आंखे बड़ी करके गुस्से में कहने लगी :- तुम दगड़ी रहकर जांण कख? जैं दिन बटी इस घर में आई हूँ द्वी घड़ी का सुख नहीं…..!
मेरा ब्यो कु डोला इस घर तब आया तुमरि ब्वेन धांण – काज कुटर्या मेरा मुंड में पहले ही थीड़ दिया था,,,,,, लोगों का नया नया ब्यो हुआ तो द्वी झंणा घूमने नैनीताल, मसूरी शिमला जाते हैं और तुमने लैंदी गौड़ी दी पिजाने के लिए,,,, और उसको चराने के लिए डेली सुबेर शाम भेज दिया,,,,,,! निरभगी गौड़ी भी ऐसी रमाळी निकली जैंसे दूध पिजानी गई पट्ट दूध देने लग गई, मुझे देखकर बिचळी भी नहीं,,, जैंसे पहले से जानती हो……., फिर मुझे सदानी कख जांण्या व्हे!….!
दिदा का गिच्चा खुला का खुला ही रह गया, और कहने लगा त्वे दगड़ी कठि मिठि छ्वीं कख बटि लगानी,,,,, जब देखा तब नाक ही पळ्याया रहता,,,,,,,,,,! बौजी भी बैड के दूसरे छोर पर सोने के लिए बैठी,,, दिदा की कमर में एक घमाक मुडगी मारते हुए बोली,,,, खबरदार जु मेरी तरफ अपड़ी मुखड़ी फरकायी तो,,,,,,!
दिदा ने मुडगी की घमाक खाकर ऐ म्येरि बोई किया और पोओके लाईन जैंसी दूरी बनाकर सो गया,,,
हरदेव नेगी