उत्तराखण्ड
मागथा सहकारी समिति का नौ गांव में बिलय का विरोध।
यमकेश्वर: जहां एक ओर चुनावी वर्ष मे सरकार जन समस्याओं के निराकरण व घोषंणाओं पर घोषणा कर जनता को वोट बैंक के रुप मे इस्तेमाल कर भूनाना चाह रही है वहीं विकास के दृष्टिकोंण से राजधानी देहरादून के सबसे पिछडे ब्लाक यमकेश्वर में सरकार तुगलकी फरमानों से बाज नही आ रही, यह कहना हैँ पूर्व सैनिक और क्षेत्र पंचायत सदस्य बूंगा के सुदेश भट्ट का।
सरकार के ताजा आदेश के अनुसार ‘सहकारी समिती मागथा, का बिलय नौ गांव मे होने जा रहा है जिससे 40 गांव की जनता पर सीधा असर पडेगा जिसके अंतर्गत ग्राम सभा कुमार्था, नैल, घायखाल, पोखरी, गुमाल गांव बडा, तिमली ,पिलखेडी, मागथा ग्राम सभाओं के समस्त ग्रामीण प्रभावित होंगे मागथा सहकारी समिति के नौ गांव मे बिलय होने से प्रभावित ग्रामीणों को आने जाने मे 80 किमी की दुरी तय करके नौ गांव पहुंचना होगा जो कि राजधानी देहरादून के बराबर पडेगा, आज ब्लाक मुख्यालय यमकेश्वर मे क्षेत्र के स्थानीय जन प्रतिनिधियों ने पहुंचकर विरोध दर्ज किया व सरकार से तुरंत अपने तुगलकी फरमान को वापस लेने के लिये सोसायटी सहकारी समिति के सहायक विकाश अधिकारी यमकेश्वर ऋषिकुल कुमार सैनी को पत्र सौंपते हुये मांग करी की यदि सोसायटी समिति द्वारा निर्णय वापस नही लिया जाता तो प्रभावित क्षेत्र की जनता व प्रतिनिधि क्षेत्र हित की मांग को लेकर सडकों पर उतरने को बाध्य होंगे आज इसी मांग को लेकर जिला पंचायत गुमाल गांव बिनोद डबराल क्षेत्र पंचायत बूंगा सुदेश भट्ट ग्राम प्रधान पोखरी सुमन देवी ग्राम प्रधान गुमाल गांव शकुंतला देवी पूर्व प्रधान घायखाल कृष्णा नेगी समाज सेवी हरेंद्र रौथांण पूर्व क्षेत्र पंचायत तिमली गजेंद्र सिंह नेगी पूर्व प्रधान पोखरी एवं पूर्व अध्यक्ष सोसायटी समिती मागथा बलदेव सिंह समाज सेवी सोहन सिंह राणा समेत नौ गांव सोसायटी समिती के बर्तमान अध्यक्ष दिनेश चौधरी ने भी मागथा का नौ गांव मे विलय करने पर विरोध दर्ज कराते हुये आंशिक धरना दिया क्षेत्र पंचायत बूंगा सुदेश भट्ट ने बताया कि उनकी क्षेत्र पंचायत बूंगा के साथ सरकार द्वारा हमेशा विकास विरोधी नितियां अपनायी जा रही है यदि अब सरकार अपना निर्णय वापस नही लेती तो स्थानीय जनता तहसील मे धरना देने को बाध्य होगी।