उत्तराखण्ड
महाशिवरात्रि 2024: शिवलिंग में ये चीजें चढ़ाना है वर्जित, पूजा की महत्ता हो जाती है खत्म।
हर वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महापर्व के रूप में मनाया जाता है। शिवपुराण के अनुसार इस तिथि की पावन रात्रि को आदिदेव भगवान शिव,करोड़ों सूर्यों के समान प्रभाव वाले ज्योति स्तम्भ के रूप में प्रकट हुए थे। इसलिए यह पर्व शिव के दिव्य अवतरण का मंगल सूचक पर्व है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, सती का पार्वती के रूप में पुनर्जन्म हुआ था। फिर इसी दिन भगवान शिव और आदिशक्ति का विवाह संपन्न हुआ। इसलिए शिवरात्रि पर शिव-पार्वती की पूजा विशेष अधिक फल देने वाली है। शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शक्कर, शहद, घी, भांग, पुष्प, धतूरा, चंदन, फल अर्पित किए जाते हैं। लेकिन कुछ द्रव्य ऐसे है जिन्हें शिवलिंग पर अर्पित करना शास्त्रों में निषेध माना गया है।
हल्दी नहीं चढ़ाएं
शिवजी को कभी भी हल्दी नहीं चढ़ाना चाहिए क्योंकि हल्दी को स्त्री से संबंधित माना गया है और शिवलिंग पुरुषत्व का प्रतीक है ऐसे में शिव जी की पूजा में हल्दी का उपयोग करने से पूजा का फल नहीं मिलता है। इसी वजह से शिवलिंग पर हल्दी नहीं चढ़ाई जाती है। ये भी मान्यता है कि हल्दी की तासीर गर्म होने के कारण इसे शिवलिंग पर चढ़ाना वर्जित माना जाता है, इसलिए शिवलिंग पर ठंडी वस्तुएं जैसे बेलपत्र, भांग, गंगाजल, चंदन, कच्चा दूध चढ़ाया जाता है।
तुलसी पत्र न चढ़ाएं
पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव ने देवी तुलसी के पति असुर जालंधरका वध किया था। इसलिए उन्होंने स्वयं भगवान शिव को अपने अलौकिक और दैवीय गुणों वाले पत्तों से वंचित कर दिया।भगवान विष्णु की उपासना तुलसी दल के बिना पूर्ण नहीं होती,परन्तु भगवान शिव की पूजा में तुलसी दल का प्रयोग वर्जित माना गया है।
नहीं चढ़ता है केतकी का फूल
कथा है कि ब्रह्माजी ने केतकी के फूल को बहला फुसलाकर भगवान शिव के सामने झूठ बोलने के लिए तैयार कर लिया। इसके बाद केतकी का फूल और ब्रह्माजी भगवान शिव के सामने पहुंचे। ब्रह्माजी ने भगवान शिव से कहा कि उन्हें ज्योतिर्लिंग की शुरुआत मिल गई है और केतकी के फूल से भी झूठी गवाही दिलवा दी,जिससे रुष्ट होकर भोलनाथ ने केतकी के फूल को श्राप दिया और कहा कि शिवलिंग पर कभी केतकी के फूल को अर्पित नहीं किया जाएगा।
शंखजल से अभिषेक न करें
शिवपुराण के अनुसार, शंखचूड़ एक महापराक्रमी दैत्य था, जिसका वध स्वयं भगवान शिव ने किया था। जिसके बाद उसका शरीर भस्म हो गया,उस भस्म से शंख की उत्पत्ति हुई थी। इसलिए महाशिवरात्रि पर कभी शंख से शिवलिंग पर जल नहीं चढ़ाया जाता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, शिवलिंग पर आप नारियल अर्पित कर सकते हैं, लेकिन कभी भी शिवलिंग पर नारियल के जल से अभिषेक नहीं करना चाहिए। दरअसल नारियल को देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है,माता लक्ष्मी भगवान विष्णु की अर्धांगिनी हैं और नारियल को श्रीफल भी कहा जाता है और इसे माता लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है इसलिए इसका प्रयोग भगवान शिव की पूजा में नहीं किया जाता है।
शिवलिंग पर सिंदूर चढ़ाना वर्जित
भगवान शिव को कभी भी श्रृंगार का सामान नहीं चढ़ाना चाहिए खासतौर पर सिंदूर और कुमकुम को। सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए मांग में सिंदूर लगाती हैं जबकि भगवान शिव संहारक रूप में भी पूजे जाते हैं ऐसे में भगवान शिव को सिंदूर नहीं चढ़ाया जाता है लेकिन मां पार्वती को सिंदूर अर्पित करते हैं।
टूटे हुए चावल
शिवपुराण के अनुसार भगवान शिव को टूटा हुआ चावल नहीं चढ़ाया जाता है। टूटा हुआ चावल अपूर्ण और अशुद्ध माना गया है, इसलिए यह शिव जी को नहीं चढ़ता।