उत्तराखण्ड
मेरी बेटी
रत्नेश
मेरी बेटी
तुम जब से अपनी माँ के गर्भ में आयी थी,
तब से मैंने सपने सजाए थे,
तुम्हारे सबसे अच्छे भविष्य के,
तुम्हारे सपनों के आसमानों के,
तुम्हारी हर एक मुस्कुराती हुई सुबह के…
मेरी बेटी
जिस दिन तुम धरती पर आयी थी,
तुम्हारी माँ के अलावा अगर कोई और,
दुनिया में सबसे ज्यादा खुश था तो वो मैं था,
उस समय भले तुम्हारी माँ,
जिसे मैं सबसे ज्यादा प्रेम करता था,
वो बहुत तकलीफ में थी,
लेकिन मैं खुश था,
सबको यही बोल रहा था,
मेरे घर लक्ष्मी आयी है… मेरे घर लक्ष्मी आयी है…
मेरी बेटी
अब तुम्हारी माँ को भी उतना प्यार नही दे पाता,
जिसकी उनको हमेशा शिकायत रहती है,
क्योंकि अब मेरी दुनिया में तुम आ गयी थी,
मेरी बेटी
मुझे आज भी याद है,
तुम्हारा पहली बार पापा बोलना,
जब मैं खुशी के मारे पागल सा हो गया था,
आप मेरे दोस्त गुप्ता चाचा से पूछना,
मैंने एक दिन में कम से कम सौ बार बोला था,
कि आज मेरी परी ने मुझे पापा कहा है,
मेरी बेटी,
मुझे याद है तुम्हारा लड़खड़ाता हुआ पहला कदम,
और मुझे अपने शरीर की,
उस उंगली से भी बेहद प्यार है,
जिसे पकड़कर तुमने पहला कदम रखा था,
मेरी बेटी
मुझे बहुत अच्छे से याद है,
तुम्हारा पहला जन्मदिन,
जब तुम्हारे दादा-दादी ने तुम्हारा हाथ पकड़कर,
केक कटवाया था,
और मैं तुम्हारे हाथ से एक केक का एक टुकड़ा
खाने के लिए बच्चे के जैसे उतावला था,
और फिर
जब तुम्हारी बुआ जी ने कहा था,
भैया कोई बेटी के जन्मदिन पर इतना खर्च करता है क्या?
पैसा बचा कर उसकी शादी के लिये रखो,
तब पता है मैंने अपनी बहन से क्या कहा था,
बेटा आपके भाई ने जब आपके लिए सब किया,
तो अपनी बेटी के किसी कार्यक्रम में कमी कैसे करूँ,
मेरी बेटी
तुम्हें याद है वो स्कूल का पहला दिन,
जब तुम मेरी गोदी से उतर नही रही थी, और रो रही थी,
सच बताऊं उस दिन मैं भी रोया था,
तुम्हे छोड़कर वापस आते समय,
मेरी बेटी
तुम्हें याद है,
जब तुम्हें गुस्सा दिलाने के लिए,
तुम्हारे मनपसंद खिलौने लाता था,
लेकिन छुपा लेता था और कहता था भूल गया,
और तुम मुझसे लड़ती थी, जिद करती थी,
और फिर जब झूठे जादू से खिलौने निकालता था,
तब तुम्हारी बेपरवाह हँसी, और लव यू पापा सुनकर,
मुझे दुनिया की सारी खुशियाँ मिल जाती थीं,
मेरी बेटी,
तुम्हारे स्कूल से लेकर कॉलेज तक,
कभी अकेला नही छोड़ा,
इस डर से कि कहीं मेरी बेटी को कुछ हो न जाये,
पता है जब तुम होस्टल गयी थी,
मैं और तुम्हारी मम्मी छोड़ने गए थे,
हम दोनो ने उस रात एक निवाला तक नही खाया था,
मेरी बेटी
मैंने आज तक सम्हाल कर रखे हैं,
तुम्हारे पुराने बचपन के कपड़े,
तुम्हारे सभी खिलौने,
और हाँ तुम्हारी बनायी हुई वो तश्वीर भी,
जिसमे लिखा था”मेरे पापा दुनिया के सबसे अच्छे पापा हैं”,
मेरी बेटी
तुम्हारे हर निर्णय में मैं तुम्हारे साथ था,
और आज भी हूँ,
क्योंकि तुम मेरी दुनिया हो,
तुम खुश हो तो मैं भी खुश हूँ,
मेरी बेटी
आज तुम्हे लगता है,
कि तुम्हारे पापा तुम्हें प्यार नही करते,
लेकिन एक बात ध्यान रखना,
जब तुम्हारी बेटी होगी तुम्हारी तरह,
तब तुम्हे पता चलेगा तुम्हारे पापा,
कितना प्यार करते थे तुम्हें,
वो बात अलग है कि शायद तब तुम्हारी दुनिया में,
हम नही होंगे….
रत्नेश अवस्थी (उन्नाव, उत्तर प्रदेश)