आलेख
चला अब जरा हौंस भि ल्या।
हरदेव नेगी
एक सच्चा पहाड़ी मायादार (आशिक़) वही होता है जब किसी से दिल लगा बैठ जाता है तो उसे जानू, फानू, निखानू, भूकू, तीसू, बेबी, बच्चा, बाबू, अदरक, लहसून, प्याज नहीं बल्कि सीधे “ब्वारी” बनाने का सपना देखता है, यही कहानी बिरजू की भी थी, उसको भी एक स्वांणी म्वाणी छलबली पसंद आ गयी थी. पसंद क्या कि गौं वालों कि नजरों में “असंद” आ गयी थी, बिरजू ने कभी भी उससे झूठे सपने नहीं खाये थे, देखते ही अपड़ी ब्वे को बता दिया था कि “ल्यौंण त स्या नि ल्यौंण स्या”. बिरजू ने अदकप्वोळीं माया में उससे कभी नहीं कहा कि “You will be my better half” क्योंकि बिरजू का मानना था कि “Half” तो दारू की बोतल होती है, बिरजू “Full” में विश्वास करता था. ऐंसी कुतर्यांण्यां छ्वीं उसके पल्ले नहीं पड़ती थी।।। ब्वे न कहा कि कमै धमै कुछ नहीं है पढ़ लिख कर बिरोजगार बैठा है, केदारनाथ की यात्रा भी द्वी साल से ठप ही समझले, पुंगड़ो के हाल भि देख ले सब रड़क गये या सुंगर बांदरों ने सपाचट कर लिए, खिलायेगा क्या, भौंरा. देख ले बिरजू तीकू ब्यो कखि और हो जायेगा तू गौं की धार में गोरू चरायेगा।।। ना तेरा शहरों में प्लौट, ना सरकारी नौकरी न कोई बिजनैस. हमरा जमाने की सौर ना कर। कि पुंगड़ा पटला ग्वोरू बाखरा देखकर ब्यै सो जाये।।। बिरजू ने ब्वे की बात को Avoid कर दिया, और कानो में लीड क्वोच कर धुरपला एैंच बैठकर अरिजित सिंह के गीत बड़बड़ाने लगा।
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पर ये जमना की रीति को कौन समझे, बिरजू अपड़ी माया की धौंस में मंगन और उधर कहीं और जुड़ गया जतन। वट्स पर लास्ट मैसेज आया बल कि अब मुझे मैसेज मत करना, फोन स्विच औफ, नौट रीचेबल – नौट रीचेबल सुनकर आखिर ब्वे ने बोल दिया ऐ बिरजू क्य व्हे बल. बिरजू ने बहती हुई आँसू की पंणधार में ब्वे से कहा “त्येरि गिच्चि दैंणी हो गई बल”. वीं कु ब्यो चा बल बैसाख मा . मैसेज छो आयूं बल।।
ब्वे करने लग गई अब बिरजू खोळ, बोल बिरजू अब बोल, ल्योंण त स्या नि ल्योंण त स्या” ल्ये लाटा अब प्ये च्या।।।
च्या की घुटकियों के साथ आखिर बिरजू ने कह दिया।।
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मुबारक हो तुमको ये शादी तुम्हारी,
हमें गम है ना बन पाई तुम ब्वारी हमारी।….
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लेख : हरदेव नेगी
गुप्तकाशी, रुद्रप्रयाग (उत्तराखंड)
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