उत्तराखण्ड
अफसर आदेशों का पालन करने के बजाय पेपरबाजी कर रहे: हाई कोर्ट।
प्लास्टिक पर पाबंदी को लेकर जनहित याचिका में हाई कोर्ट की तल्ख टिप्पणी।
संवादसूत्र देहरादून/ नैनीताल: हाईकोर्ट ने राज्य में प्लास्टिक निर्मित कचरे पर पूर्ण रूप प्रतिबंध लगाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए तल्ख टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि अफसर आदेशों का पालन करने का काम नहीं, पेपरबाजी कर रहे हैं। कोर्ट ने अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट की तीन ग्राम पंचायतों के प्रधानों की शिकायतों की जांच कर फोटोग्राफ सहित रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के निर्देश जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव अल्मोड़ा को दिए हैं। इन प्रधानों ने पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि ब्लाक के अधिकारियों की ओर से जबरदस्ती शपथपत्र पर हस्ताक्षर करवाए जा रहे है। कोर्ट ने सचिव व निदेशक शहरी विकास, सचिव पंचायती राज, सचिव वन एवं पर्यावरण को किया 20 मार्च को व्यक्तिगत रूप से तलब किया है, पूछा है कि पूर्व में पारित आदेशों पर कितना अनुपालन हुआ है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से कहा है कि वह अपना कल्ट प्लान स्टेट पॉल्यूशन बोर्ड व शहरी विकास विभाग के साथ साझा करें, ताकि प्लास्टिक वेस्ट फैलाने वाली कंपनियों पर कार्रवाई की जा सके। याचिका पर अगली सुनवाई के लिए 20 मार्च की तिथि नियत की है।
सचिव पंचायती राज से प्रधानों की बढ़ी मुसीबत
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने कोर्ट को बताया कि 20 दिसंबर को कोर्ट ने कूड़ा निस्तारण की समस्याओं को लेकर ग्राम पंचायतों से रिपोर्ट मंगाकर शपथपत्र के माध्यम से कोर्ट में पेश करने के निर्देश सचिव पंचायती राज को दिए थे लेकिन सचिव ने प्रदेश के सभी ग्राम पंचायतों से कहा कि आप अपनी अपनी समस्याओं को शपथपत्र के माध्यम से कोर्ट में पेश करें, नहीं करने पर यह हाई कोर्ट के आदेश की अवहेलना होने पर स्वयं जिम्मेदार होंगे। इस आदेश की वजह से पिछले सप्ताह प्रदेश के आठ ग्राम पंचायतों की ओर से छह लाख 35 हजार पेज के आठ हजार शपथ पत्र पेश कर हाई कोर्ट में डंप कर दिए गए। जिनको पढ़ना असंभव है। यह पता नहीं चल सकेगा कि किस ग्राम पंचायत की क्या समस्या है, इतने शपथपत्रों में तलाशना कठिन है।
प्रधानों ने खोली सरकारी तंत्र की पोल
अल्मोड़ा जिले की द्वाराहाट ब्लाक के तीन ग्राम पंचायतों के ग्राम प्रधानों ने पत्र लिखकर बताया कि जो शपथपत्र उनसे जमा कराए जा रहे है, उनमें उनके हस्ताक्षर जबरदस्ती कराए जा रहे हैं, जो कूड़ा निस्तारण की फोटो शपथपत्र में लगाई जा रही है, वह उनके ग्राम सभा की नहीं है, वह किसी अन्य बैठकों की है। जो डस्टबिन दिखाए जा रहे हैं , वह अधिकारियों ने दुकान से लाकर उनकी फोटो खींच कर ,उनको फिर से दुकानदार को वापस कर दिए हैं। उनको इस बारे में कोई जानकारी तक नहीं दी गयी, इसलिए हमने शपथपत्र में हस्ताक्षर नहीं किए, ना ही शपथपत्र हाई कोर्ट में जमा किए। द्वाराहाट की ग्राम पंचायत मेनता, धन्यारी, पनेर के ग्राम प्रधानों ने शिकायत की। पत्रों में उन्होंने बताया कि उनके पास कूड़ा निस्तारण के साधन नहीं है ,बजट नहीं है, ना ही सरकार ने इस संबंध में कोई जागरूकता अभियान चलाया। आजतक कोई बैठक भी नहीं बुलाई। हर ग्राम सभा की अपनी अपनी अलग अलग समस्या है ।