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अर्धसैनिक बल के जवान वीरता,साहस और देशभक्ति के प्रतीक:मुख्यमंत्री।

उत्तराखण्ड

अर्धसैनिक बल के जवान वीरता,साहस और देशभक्ति के प्रतीक:मुख्यमंत्री।

संवादसूत्र देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल कैंप मुख्यालय हल्द्वानी में आयोजित पूर्व अर्धसैनिक बलों के सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि अर्धसैनिक बलों के वीर जवानों ने कश्मीर से कन्याकुमारी और कच्छ से अरुणाचल तक हर मोर्चे पर अदम्य साहस, शौर्य और समर्पण के साथ देश की सेवा की है। तिरंगे की शान को बढ़ाने में इन वीर सपूतों का योगदान अविस्मरणीय है। उन्होंने अर्द्धसैनिक बल के जवानों को वीरता, साहस और देश भक्ति का प्रतीक बताते हुए उन्हें राष्ट्र की शान बताया।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने अर्द्धसैनिक बलों के कल्याण के लिए घोषणा की कि भविष्य में प्रेजिडेन्ट पुलिस मेडल-गैलेन्ट्री वीरता पदक से अलंकृत होने वाले अर्द्धसैनिक को एकमुश्त 05 लाख रूपये की अनुदान राशि दी जायेगी, पूर्व अर्द्धसैनिक एवं अर्द्धसैनिक की वीर नारी, जिसके पास स्वयं की कोई अचल सम्पत्ति नहीं है, को उत्तराखण्ड राज्य में जीवनकाल में एक बार अचल सम्पत्ति क्रय किये जाने में स्टाम्प शुल्क में 25 प्रतिशत तक की छूट दी जायेगी, उत्तराखण्ड राज्य अर्द्धसैनिक बल कल्याण परिषद् को क्रियाशील किया जायेगा और परिषद् के लिए पुलिस मुख्यालय में एक कार्यालय कक्ष आवंटित किया जायेगा, सैनिक कल्याण निदेशालय में उपनिदेशक (अर्द्धसैनिक) एवं बड़े जिलों के जिला सैनिक कल्याण कार्यालयों में सहायक जिला सैनिक कल्याण अधिकारी (अर्द्धसैनिक) के एक-एक पद स्वीकृत किये जायेंगे, जिसमें पूर्व अर्द्धसैनिक संविदा में नियुक्त किये जायेंगे, जो अर्द्ध सैनिक बलों के बच्चे हैं, उनको शादी हेतु हमारे सैनिकों के भांति धनराशि प्रदान की जाएगी तथा मुख्यमंत्री ने सीजीएचएस भवन निर्माण हेतु तत्काल प्राथमिकता देते हुए भूमि चयन करने के निर्देश जिलाधिकारी को दिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सैनिक कभी भी ‘भूतपूर्व’ नहीं होता, वह जीवनपर्यंत सैनिक ही रहता है। उन्होंने बताया कि वे स्वयं एक सैनिक परिवार से आते हैं और सैनिकों व उनके परिवारों की चुनौतियों को नजदीक से समझते हैं। शहीदों की शहादत की कोई कीमत नहीं हो सकती और राज्य सरकार का दायित्व है कि उनके परिवारों को किसी प्रकार की कठिनाई न होने पाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने अर्द्धसैनिक बलों और शहीदों के परिजनों के सम्मान हेतु अनुग्रह राशि को 10 लाख से बढ़ाकर 50 लाख रुपये किया है। अशोक चक्र, कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र से अलंकृत वीरों की पुरस्कार राशि एवं वार्षिक अनुदान में भी महत्वपूर्ण वृद्धि की गई है। शहीदों की स्मृति में स्मारक एवं शहीद द्वार निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। इस वर्ष 10 वीर बलिदानियों की स्मृति में नए स्मारकों की स्वीकृति दी गई है। साथ ही शहीदों के परिजनों के एक सदस्य को सरकारी नौकरी में समायोजित करने की व्यवस्था भी लागू की गई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के कुशल नेतृत्व में सेना का आधुनिकरण तेजी से हुआ है। भारत आज रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनते हुए कई देशों को रक्षा उपकरण निर्यात कर रहा है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने भारत के स्वदेशी हथियारों की क्षमता को विश्व स्तर पर सिद्ध किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों में अवैध बसावट और अन्य गलत गतिविधियों के खिलाफ सरकार कड़े कदम उठा रही है। 10 हजार एकड़ से अधिक सरकारी भूमि कब्जामुक्त कराई गई है तथा 550 से अधिक अवैध संरचनाओं को ध्वस्त किया गया है। राज्य में समान नागरिक संहिता, सख्त धर्मांतरण विरोधी कानून, दंगा-रोधी कानून और भू-कानून लागू कर सामाजिक समरसता एवं आंतरिक सुरक्षा को मजबूत किया गया है।

उन्होंने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड वीरभूमि भी है, और यहां की धरोहर, संस्कृति तथा परंपरा की रक्षा करना सभी का दायित्व है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार “विकल्प रहित संकल्प” के साथ उत्तराखंड को देश का श्रेष्ठ राज्य बनाने के लिए निरंतर कार्य कर रही है।

कार्यक्रम में सैनिक कल्याण मंत्री श्री गणेश जोशी ने कहा कि राज्य सरकार पूर्व सैनिकों के कल्याण हेतु निरंतर दृढ़ता से कार्य कर रही है।

इस अवसर पर मेयर हल्द्वानी श्री गजराज सिंह बिष्ट, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती दीपा दरमवाल, विधायक श्री राम सिंह कैड़ा, दायित्व धारी डॉ. अनिल डब्बू, शंकर कोरंगा, रेनू अधिकारी, आई जी रिद्धिम अग्रवाल, जिलाधिकारी ललित मोहन रयाल, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के डीआईजी शंकर दत्त पांडे, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ मंजूनाथ टीसी, पूर्व अर्धसैनिक संगठन उत्तराखंड के अध्यक्ष एस.एस. कोटियाल, सेवानिवृत्त आईजी एम.एल. वर्मा, एच.आर. सिंह, भानु प्रताप सिंह सहित बड़ी संख्या में पूर्व सैनिक एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

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