उत्तराखण्ड
पीआरएसआई प्रदर्शनी में झलका समृद्ध और सशक्त उत्तराखंड, लोककला से विकास तक दिखा जीवंत स्वरूप।

संवादसूत्र देहरादून: पब्लिक रिलेशन सोसाइटी ऑफ इंडिया (पीआरएसआई) के तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन के समापन अवसर पर आयोजित प्रदर्शनी देश-विदेश से आए प्रतिनिधियों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रही। देहरादून के सहस्रधारा रोड स्थित द एमराल्ड ग्रैंड होटल में लगी इस प्रदर्शनी ने उत्तराखंड की लोक विरासत, संस्कृति, विकास और सामाजिक सशक्तीकरण की जीवंत झलक प्रस्तुत की। रूस सहित देश के विभिन्न राज्यों से आए 300 से अधिक जनसंपर्क और संचार विशेषज्ञों ने प्रदर्शनी का अवलोकन कर इसकी सराहना की।
प्रदर्शनी में सूचना एवं लोक संपर्क विभाग उत्तराखंड, आंचल दूध, उत्तराखंड हैंडलूम एंड हैंडीक्राफ्ट डेवलपमेंट काउंसिल, मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए), उत्तराखंड ऑर्गेनिक कमोडिटी बोर्ड, चीफ इलेक्शन ऑफिसर उत्तराखंड, स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (एसडीआरएफ), भारतीय ग्रामोत्थान ऋषिकेश, ऐपण आर्ट ऑफ उत्तराखंड, आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) तथा हाउस ऑफ हिमालय सहित लगभग डेढ़ दर्जन स्टॉल लगाए गए थे। इन स्टॉल्स के माध्यम से उत्तराखंड के धर्म, आध्यात्म, हस्तशिल्प, महिला सशक्तीकरण, आपदा प्रबंधन और विकास की समग्र तस्वीर सामने आई।
एमडीडीए के स्टॉल पर देहरादून के सुव्यवस्थित और पर्यावरण अनुकूल विकास से जुड़ी योजनाओं की जानकारी दी गई। वहीं आंचल दूध के स्टॉल ने प्रदेश के हजारों दुग्ध उत्पादक किसानों से जुड़ी सहकारी डेयरी व्यवस्था और गुणवत्ता आधारित उत्पादों को प्रदर्शित किया। भारतीय ग्रामोत्थान द्वारा भांग और कंडाली के रेशे से बने वस्त्रों तथा ऊनी उत्पादों ने आगंतुकों का विशेष ध्यान आकर्षित किया।
प्रदर्शनी में एएसआई द्वारा उत्तराखंड के 44 ऐतिहासिक एवं पौराणिक मंदिरों के संरक्षण से जुड़ी जानकारी साझा की गई। एपण कला को समर्पित स्टॉल पर रामनगर की मीनाक्षी ने पारंपरिक लोककला को रोजगार और महिला सशक्तीकरण से जोड़ने के अपने प्रयासों को प्रस्तुत किया। वहीं एसडीआरएफ के स्टॉल पर आपदा प्रबंधन उपकरणों और रेस्क्यू अभियानों की जानकारी दी गई, जहां उनके साहस और सेवा भावना की सराहना की गई।
प्रदर्शनी का प्रमुख आकर्षण बना ‘सेल्फी प्वाइंट’, जिसमें पहाड़ी लोक जीवन और पारंपरिक वास्तुकला को दर्शाया गया। कुल मिलाकर पीआरएसआई अधिवेशन की यह प्रदर्शनी उत्तराखंड के सांस्कृतिक गौरव, विकासात्मक सोच और सामाजिक प्रतिबद्धता का प्रभावशाली मंच बनकर उभरी।




