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जीएसटी में कमी से आर्थिक गतिविधियों को मिली गति : बी सुमिदा।

उत्तराखण्ड

जीएसटी में कमी से आर्थिक गतिविधियों को मिली गति : बी सुमिदा।


संवादसूत्र देहरादून: पब्लिक रिलेशन सोसाइटी ऑफ इंडिया (पीआरएसआई) के तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन में देश-प्रदेश के विकास, आर्थिक सुधारों और जनसंचार की बदलती भूमिका पर गहन मंथन किया जा रहा है। अधिवेशन के दूसरे दिन तीसरे सत्र में “भारत के आर्थिक परिदृश्य पर जीएसटी का सकारात्मक प्रभाव” विषय पर चर्चा हुई। वक्ताओं ने बताया कि ‘एक राष्ट्र–एक कर’ व्यवस्था लागू होने से देश में आर्थिक सुधारों को मजबूती मिली है और व्यापारिक वातावरण अधिक अनुकूल हुआ है।

भारतीय राजस्व सेवा की वरिष्ठ अधिकारी एवं कस्टम कमिश्नर बी सुमिदा देवी ने कहा कि जीएसटी दरों में कमी से उद्योगों पर कर भार घटा है, इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ बढ़ा है और अनुपालन प्रक्रिया सरल हुई है। इससे उत्पादन लागत में कमी आई और मुनाफे में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि एक समान कर प्रणाली से पारदर्शिता बढ़ी है, लॉजिस्टिक्स में सुधार हुआ है और देश में एकीकृत बाजार का निर्माण संभव हो पाया है। कम कर दरों से विशेष रूप से छोटे व्यापारियों को लाभ हुआ है, जिससे वे अपने व्यवसाय में निवेश कर पा रहे हैं। कृषि उत्पादों के परिवहन में लागत घटने से किसानों और थोक विक्रेताओं को भी सीधा फायदा मिला है।

इसी सत्र में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक रिलेशन के संस्थापक मेजर अतुल देव ने परंपरागत पब्लिक रिलेशन से लेकर आधुनिक डिजिटल पीआर टूल्स तक के विकास पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि डिजिटल युग में सोशल मीडिया के माध्यम से ब्रांड निर्माण और उसकी साख बनाए रखना बड़ी चुनौती है। तकनीकी विकास के कारण पीआर का वैश्वीकरण हुआ है, वहीं फेक न्यूज, प्राइवेसी और सामाजिक ध्रुवीकरण जैसी चुनौतियां भी सामने आई हैं, जिनका समाधान आवश्यक है। कार्यक्रम की अध्यक्षता एस.पी. सिंह, उपाध्यक्ष, पीआरएसआई देहरादून चैप्टर ने की। उन्होंने आयोजन की सराहना करते हुए बताया कि अगला राष्ट्रीय अधिवेशन भुवनेश्वर में आयोजित किया जाएगा।

भारत–रूस के बीच बेहतर जनसंचार की जरूरत

अधिवेशन के चौथे सत्र में भारत-रूस व्यापारिक संबंधों को सुदृढ़ करने पर विचार-विमर्श हुआ। सत्र का संचालन वीआईपीएस, नई दिल्ली की डीन प्रोफेसर चारुलता सिंह ने किया। मॉस्लोव एजेंसी के डायरेक्टर जनरल मिशेल मास्लोव ने कहा कि भारत और रूस पारंपरिक मित्र देश हैं और सैन्य सहयोग के साथ-साथ अब फार्मा, कृषि, पर्यटन और खाद्य उत्पादों में व्यापार तेजी से बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच प्रभावी पब्लिक रिलेशन से भाषाई बाधाएं और सूचना का अभाव दूर किया जा सकता है। डिजिटल एजेंसी इंटेरियम की इंटरनेशनल मैनेजर यूलिया देवीदेनको और एना तालानीना ने रूस की डिजिटल सेवाओं और सोशल मीडिया परिदृश्य की जानकारी दी।

पांच पुस्तकों का विमोचन

छठे सत्र में पीआरएसआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजीत पाठक और मिशेल मास्लोव की अध्यक्षता में पांच पुस्तकों का विमोचन किया गया। इनमें डॉ. अमिता एवं डॉ. संतोष कुमार वघेल की पुस्तक “हस्ती मिटती नहीं—एक कारवां जो बढ़ता रहा”, बदरा चैप्टर के राजेश की “विकसित भारत व जनसंपर्क”, भोपाल के डॉ. पंकज मिश्रा की “जनसामान्य में कानून संबंधी खबरों में समाचार पत्रों की भूमिका” सहित अन्य शोध प्रकाशन शामिल रहे।

लोक संस्कृति की रंगारंग प्रस्तुतियां

अधिवेशन के समापन अवसर पर उत्तराखंड की लोक संस्कृति के रंग बिखरे। गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी गीत-नृत्यों ने देशभर से आए प्रतिनिधियों को मंत्रमुग्ध कर दिया। सौरभ मैठाणी, विवेक नौटियाल, रेनूबाला और विपिन कुमार की प्रस्तुतियों पर दर्शक झूम उठे। हंसा ग्रुप और अल्मोड़ा स्वाल घाटी रंगमंच द्वारा प्रस्तुत छोलिया नृत्य विशेष आकर्षण का केंद्र रहा।


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