उत्तराखण्ड
“संट्यै फूल”
गढ़वाली कविता
रचनाकार – हरदेव नेगी
तौं बिठा पाखौं डाळ्यूं का फांगों कु चा हैंसड़ू मुलमुल?
तौं बिठा पाखौं डाळ्यूं का फांगों संट्यै फूल हैंसड़ू मुलमुल.
कै मैना – कै बार खिललु संट्यै कु फूल?
ज्येठ असाड़ रूड़्यों की बार खिललु संट्यै कु फूल.
कै – कै रंग मा रंग्यू होलु संट्यै कु फूल?
पिंगळा सफेद बैंगनी रंगों मा रंग्यूं सु फूल.
कै – कै डाळ्यूं का फांगों मा सौजलू संट्यै कु फूल?
बांज बुरांस काफळ अयांर मा सौजलू संट्यै कु फूल.
कु भग्यान बिणांला तौं संट्यै का फूल?
ग्वेर छ्वोरा घस्येरि बिणांला संट्यै का फूल.
कै देबा का थान पैली चड़ालों संट्यै कु फूल?
बंणद्यो का थान चड़ालों यु संट्यै कु फूल.
कै दिन बार चड़ालो यु संट्यै कु फूल?
असाड़ संगरांद मा चड़ौदां यु संट्यै कु फूल.
हरदेव नेगी, गुप्तकाशी (रुद्रप्रयाग)