उत्तराखण्ड
सामान्य सीट पर एससी अभ्यर्थी के चयन को हाई कोर्ट में चुनौती।
संवादसूत्र देहरादून/नैनीताल: हाई कोर्ट ने उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की ओर से अनारक्षित-सामान्य श्रेणी में सहायक प्रोफेसर (रसायन विज्ञान) के पद के लिए आयोजित परीक्षा के अंतिम परिणाम में आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थी के चयन को चुनौती देती याचिका पर सुनवाई की। इस मामले में राज्य लोक सेवा आयोग व राज्य सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जबाव दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खंडपीठ में बरेली निवासी कुलदीप चौहान की याचिका पर सुनवाई हुई। इसमें आयोग की ओर से घोषित अंतिम परिणाम को चुनौती दी गई है जिसमें ओबीसी और एससी वर्ग के उम्मीदवार को अनारक्षित/सामान्य सीट पर चयनित किया गया है।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता कार्तिकेय हरि गुप्ता ने दलील दी है कि आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवार का अंतिम परिणाम में अनारक्षित/सामान्य श्रेणी में स्थानांतरण नहीं किया जा सकता है। जब आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवार ने प्रारंभिक परीक्षा में कम कटऑफ अंकों का लाभ उठाया हो। याचिका में उत्तराखंड लोक सेवा आयोग परीक्षा तैयारी प्रक्रिया विनियम, 2022 और 2012 के नियमों को भी चुनौती दी गई है, जिसमें यह प्रविधान है कि भले ही आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवार ने किसी छूट का लाभ उठाया हो, वह अंतिम चयन में अनारक्षित/सामान्य सीट पर स्थानांतरित हो सकता है। कहा कि आरक्षण के ओवरलैपिंग के परिणामस्वरूप सार्वजनिक पदों में अत्यधिक आरक्षण हो जाएगा, जिसके परिणामस्वरूप भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन होगा। याचिका के अनुसार सामान्य के तीन पदों में एक महिला, एक ओबीसी के लिए तो एक में आरक्षित अभ्यर्थी का चयन कर दिया गया। याचिकाकर्ता के प्री में कटऑफ मार्क्स 95.5 जबकि एससी के 35, ओबीसी के 73 थे। अंतिम चयन में एससी के 65 व सामान्य के 55 थे। इस आधार पर सामान्य सीट पर एससी का चयन कर दिया गया। जबकि एससी के प्री में 35 अंक थे। कोर्ट ने एससी और ओबीसी श्रेणी से संबंधित को अनारक्षित/सामान्य सीटों पर अंतिम चयन करने पर पक्षकारों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर जवाबी शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई पांच दिसंबर नियत की है।