उत्तराखण्ड
बाजूबंद गीत
(गढ़वाली लोक गीत)
【द्यूर (देवर) अर बौजी (भाभी) कु संवाद】
हरदेव नेगी
बौजी :-
भड्डू लाई साग बल भड्डू लाई साग,
तापी की भि नि तपैंदी बल ह्यूंदे की आग।।।
द्यूर :-
चुलखांदै कि झौळ बल चुलखांदैं की झौळ,
म्यारा हिया की भौत सुंण्याली अब अपड़ा हिया की ब्वौल ।।
बौजी :-
लीपि जालू चुलखांदो बल लीपि जालू चुलखांदो,
टक्क लगैकि सूणिं द्यूरा मि अपड़ी खैरि बतांदो।।।
भबराली आग बल भबराली आग,
दुन्यां त् सब्बि देखला, क्व देखलो भाग?
लाखड़ों कि गडूळी बल लखड़ों की गडूळी,
निठुर व्हेगे सरील नि लगदी बडूळी ।।
सिलोटा पिसि लूंण बल सिलोटा पिसि लूंणा,
खैरि का ईं दिन बल मरि मरिक् ज्यूंण ।।
आग लै सुळगाई बल आग लै सुळगाई
उमर बिति गे बल सुख कब्बि नी पाई।।।
द्यूर :-
तांबै की तोली बल तांबै की तोली
सुख -दुख लग्यां छिन तू ज्वानि ना खरोळी।।
हरदेव नेगी