उत्तराखण्ड
दुष्कर्म मामले में एनएसयूआइ के पूर्व जिलाध्यक्ष की जमानत याचिका हाई कोर्ट से खारिज।
संवादसूत्र देहरादून/नैनीताल: महिला नेत्री से दुष्कर्म के आरोप में फंसे एनएसयूआइ के पूर्व जिलाध्यक्ष तरुण साह की जमानत याचिका हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति रविन्द्र मैठाणी की एकलपीठ ने शुक्रवार को खारिज कर दिया। ऐसे में अब तरुण पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है। अभी मंगलवार को इसी मामले में मुखानी थाने के पूर्व थानाध्यक्ष दीपक बिष्ट के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर उन्हें निलंबित भी कर दिया गया था।
हाई कोर्ट में मंगलवार को पीड़िता की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि थानाध्यक्ष मुखानी दीपक बिष्ट उसके केस में जांच के बदले पांच लाख रुपये व शारीरिक संबंध बनाने का दबाव डाल रहे हैं, जिसकी उसके पास रिकार्डिंग भी है। डीजीपी से शिकायत के बाद भी थानाध्यक्ष पर कार्रवाई नहीं हुई। वहीं, तरुण के अधिवक्ता ने कोर्ट में बताया कि महिला के आरोप झूठे हैं, जो दुष्कर्म के अंतर्गत नही आते। आरोप 2018 में लगाया गया था। चार साल बीत जाने के बाद अब तरुण के खिलाफ उसी मामले में कार्रवाई की मांग की जा रही है। हालांकि दोनों शादी शुदा हैं। तरुण को गलत फंसाया जा रहा है।