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केदारनाथ विधानसभा सीट के लिए पार्टियों के दावेदार अपनी सियासी जमीन को मजबूत करने की तैयारी में।

उत्तराखण्ड

केदारनाथ विधानसभा सीट के लिए पार्टियों के दावेदार अपनी सियासी जमीन को मजबूत करने की तैयारी में।

संवादसूत्र देहरादून: केदारनाथ विधानसभा सीट पर भाजपा के टिकट को लेकर घमासान के आसार है। इस सीट पर भाजपा के जिलाध्यक्ष दिनेश उनियाल समेत कई भाजपाई टिकट पाने के लिए जोर लगा रहे है आये दिन भाजपा की लिस्ट मे नये नये नाम जुडते जा रहे है। केदारनाथ विधान सभा को तो कई लोगो ने ऐसा समझ लिया जैसे केदारनाथ जी के दर्शन करने जा रहे हो पूछो कहा जा रहे है केदारनाथ विधान सभा मे चुनाव लड़ने। इससे बडी बात ज्यादातर धुरंधरों ने तो किसी भी पार्टी का टिकट ऐसा समझ रखा है जैसे बस या ट्रेन का टिकट लेने जैसा। वही कांग्रेस में भी दावेदारों की संख्या की कमी नही है।
केदारनाथ विधानसभा में 2012 से कांग्रेस विजयी होती आ रही है आशा नौटियाल को हराकर शैला रानी रावत ने कांग्रेस का खाता खोला जो बादस्तूर जारी है, शैला रानी रावत के कांग्रेस से बागी होने के कारण यह सीट कांग्रेस के मनोज रावत के पास खिसक गयी।
2022 में टिकट पाने के लिए दोनों पार्टियों के दावेदार अपनी सियासी जमीन को मजबूत करने मे लिए लगे हुए हैं।
यदि भाजपा के दावेदारों की बात की जाए तो सबसे प्रबल दावेदार के रूप में जिला अध्यक्ष दिनेश उनियाल काफी आगे है,जनता के मुताबिक दिनेश उनियाल की कार्यशैली से लोग बहुत ज्यादा प्रभावित हैं युवा और सैनिक पृष्ठभूमि के होने के साथ साथ बहुत ही अनुशासित बिना लाकलपेट के निर्भीकता और प्रखरता से अपनी बातें रखने के अलावा जनता की समस्याओ का त्वरित निस्तारण करना उनकी प्राथमिकता मे रहता है झूठे प्रलोभनों,गुटबाजी,जाति पंथ वर्गो मे समाज को बांटने जैसे कृत्यों से कोसो दूर रहते हैं क्षेत्र का विकास जनता की समस्याओं का त्वरित निस्तारण तथा समरसता को अपने शरीर का अभिन्न अंग मानकर चलते है इसी कारण बहुत कम समय में उनियाल ने रुद्रप्रयाग जनपद के भाजपा नेताओं से इतर अपनी अलग पहचान बनायी है जनता का मानना है कि यदि इस समय किसी तेजतर्रार युवा को मौका मिले तो यह सीट भाजपा के पक्ष में आ रही है। वही दो बार की पूर्व विधायिका आशा नौटियाल भी मैदान में है लेकिन 2017 में पार्टी से बगावत कर अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार चुकी है,दो बार पार्टी की विधायिका रही, वही 2016 में हरीश रावत सरकार से बगावत कर भाजपा में आयी पूर्वविधायिका शैलारानी रावत भी डटी है,लेकिन अस्वस्थ होने के कारण लम्बे समय से क्षेत्र से नदारत रही है,एकाएक 2017 चुनाव के बाद आजकल क्षेत्र में दिखाई दी है। इस सीट पर पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष चण्डी प्रसाद भट्ट भी है,तो वही कई पूर्व दर्जाधारी राज्यमंत्री भी विधानसभा पहुँचने के लिए संघर्षरत है।
केदारनाथ विधानसभा में इस समय पोस्टरो व होल्डिंगस् की बहार बह रही है,और जनता भी इस मौके को आसानी से छोडना नही चाह रही है। घाटी में रामलीला से लेकर पांडव लीलाओ में विधायक की आस पाले नेताओं को मुख्य अतिथि बनाकर सर्द रातों में गर्मी का अहसास करा रहे है।
2022 में मुकाबला रोचक होने के आसार दिखाई दे रहे है। यदि भाजपा ने 2017 की पुर्नावृति की तो कम मार्जिन से जीते मनोज रावत के लिए जीत आसानी से मिल सकती है। इस समय तो भाजपा के चाणक्यो को किसी भी कीमत पर केदारनाथ विधानसभा में कमल खिलाने की चिंता होनी चाहिए। वैसे अभी तक के रुझान दोनो सीटो पर भारतीय जनता पार्टी की जीत दिखा रहे है अगर टिकट सही और सुयोग्य को मिले।

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