उत्तराखण्ड
बाढ़ पीड़ितों को राहत नहीं मिलने का हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान।
संवादसूत्र नैनीताल: हाई कोर्ट ने लक्सर हरिद्वार में बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री दिलाए जाने को लेकर उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के पत्र का स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई की।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने नगर पालिका लक्सर व एसडीएम को प्रभावित लोगों की समस्याओं का समाधान शीघ्र करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही कहा है कि बाढ़ से जहां जहां गंदगी फैली है, उसकी सफाई कर कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करके अपनी रिपोर्ट दस दिन के भीतर कोर्ट में पेश करें। मामले की अगली सुनवाई 7 अगस्त की तिथि नियत की है।
अधिवक्ता सुभर रस्तोगी ने उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष डीसीएस रावत, सचिव सौरभ अधिकारी व अन्य को फोन कर बताया कि लक्सर में बाढ़ आने से उनके क्षेत्र में पानी भर गया है, जिसकी वजह से दूध,पीने का पानी व भोजन की समस्या पैदा हो गयी है, इसलिए बार एसोसिएशन इस समस्या को मुख्य न्यायधीश के सम्मुख रखा।
इस मामले को रजिस्ट्रार जरनल के सम्मुख शीघ्र सुनवाई हेतु पेश किया गया। सोमवार को इस मामले को मुख्य न्यायधीश ने स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई की।अधिवक्ता रस्तोगी व शक्ति प्रताप सिंह ने कोर्ट को अवगत कराया कि लक्सर में चार फीट तक पानी भर गया था,जिसकी वजह से दूध , पानी व भोजन की समस्या उतपन्न हो गयी। पानी भरने से गलियों में सांप, घड़ियाल गलियों में आने लगे। बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री तक नही मिल पा रही है, राहत कैम्प में प्रभावित लोगों को बासी भोजन दिया जा रहा है। उन्होंने कोर्ट से प्रार्थना की है कि बाढ़ पीड़ितों को जरूरी सुविधाएं शीघ्र उपलब्ध कराया जाय। सुनवाई के दौरान नगर पालिका की तरफ से कहा गया कि शहर से बाढ़ का पानी उतर चुका है। नगर पालिका की ओर से बाढ़ पीड़ितों की समस्याओं का समाधान किया जा रहा है। शहर में फॉगिंग व दवाइयों का छिड़काव किया जा रहा है। राज्य सरकार की तरफ से मुख्य स्थायी अधिवक्ता सीएस रावत ने कहा कि इस इस क्षेत्र का मुख्यमंत्री ने दौरा कर सभी अधिकारियों को निर्देश जारी किए है कि बाढ़ पीड़ितों की हर सम्भव सहायता करें। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ व कर्मचारी व अन्य संस्थाएं बाढ़ पीड़ितों की सहायता करने में लगी है, अभी स्थिति समान्य हो चुकी है।