उत्तराखण्ड
विधायक उमेश शर्मा की वाई प्लस सुरक्षा को लेकर हाई कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब,अगली सुनवाई एक सितंबर को।
संवादसूत्र देहरादून/ नैनीताल : हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने खानपुर से निर्दल विधायक उमेश शर्मा को वाई प्लस सुरक्षा के विरुद्ध दायर जनहित याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को पूर्व में दिए गए आदेश पर दो सप्ताह के भीतर स्थिति स्पष्ट करने को कहा। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि एक सितंबर नियत की।
हरिद्वार निवासी भगत सिंह ने अपनी जनहित याचिका में कहा है कि विधायकों को एक सुरक्षाकर्मी दिया जाता है। यदि किसी विधायक को खतरा है, तो उसे एक अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी उनके आवदेन पर दिया जाता है। किसी विधायक को सुरक्षा देने से पहले एलआइयू की रिपोर्ट विभाग को दी जाती है। लेकिन विधायक शर्मा के मामले में इसका अनुपालन नहीं हुआ। सिर्फ उनके प्रार्थनापत्र के आधार पर ही वाई प्लस सुरक्षा प्रदान कर दी गई, जबकि उनके पास व्यक्तिगत सुरक्षा दस्ता है। याचिकाकर्ता के अनुसार एलआइयू ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उनके जीवन को कोई खतरा नहीं है, इसलिए उनकी वाई प्लस सुरक्षा हटाई जाय। ऐसे ही और कितने लोगों की सुरक्षा में पुलिस लगी है, जबकि उनको किसी से कोई खतरा नहीं है। ऐसे लोग पुलिस का सहारा लेकर समाज में दहशत का माहौल पैदा कर रहे हैं। यह पुलिस का दुरुपयोग है। पुलिस का कार्य जनता की सुरक्षा करना है, न कि लोगों को डराना। गत 21 जुलाई की सुनवाई में हाई कोर्ट ने कहा था कि पुलिस का कार्य जनता की सुरक्षा करना है। ऐसे में जिन लोगों को जानमाल का खतरा है, पुलिस जांच करने के बाद ही उन्हें सुरक्षा मुहैया कराए। इस मामले में कोर्ट ने सरकार से भी जवाब मांगा था।