उत्तराखण्ड
हाई कोर्ट ने आरक्षित श्रेणियों में राज्य मूल की महिला अभ्यर्थियों के 30 प्रतिशत आरक्षण पर लगाई रोक।
संवादसूत्र देहरादून/नैनीताल: हाई कोर्ट ने राज्य लोक सेवा आयोग की ओर से पीसीएस परीक्षा की संशोधित कटआफ लिस्ट में आरक्षित श्रेणी वर्ग में उत्तराखंड मूल की महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण देने व संशोधित सूची के आधार पर आगे की कार्यवाही पर भी रोक लगा दी है। कोर्ट ने इसे अदालत के आयोग की परीक्षा में जारी पहली कटआफ में 30 प्रतिशत आरक्षण पर रोक लगाने के आदेश का उल्लंघन माना है। पूरे मामले में कोर्ट ने सरकार व राज्य लोक सेवा आयोग से 11 अक्टूबर तक जवाब मांगा है।
शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में मेरठ निवासी सत्यदेव त्यागी की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में 22 सितंबर 2022 को उत्तराखंड पीसीएस के लिए जारी संशोधित कटआफ अंक सूची को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता का कहना है कि जब 2006 के सरकारी आदेश जिसमें निवास स्थान, मूल निवास के आधार पर क्षैतिज आरक्षण प्रदान किया गया था, उस पर उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी है, तो आरक्षित श्रेणियों की महिला उम्मीदवारों को ऐसा आरक्षण प्रदान करना कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता डा. कार्तिकेय हरि गुप्ता ने बताया कि न्यायालय ने पहले के आदेश के आधार पर संशोधित कटआफ सूची पर आरक्षित श्रेणियों में दिए गए महिला आरक्षण पर रोक लगा दी है। न्यायालय ने राज्य और लोक सेवा आयोग को मामले में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने याचिका का विरोध किया।