उत्तराखण्ड
पूर्व पुलिस महानिदेशक बीएस सिद्धू की गिरफ्तारी पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक।
संवादसूत्र देहरादून/ नैनीताल: हाई कोर्ट ने वन भूमि पर कब्जा करने व अवैध रूप से पेड़ काटने के आरोपित पूर्व पुलिस महानिदेशक बीएस सिद्धू की गिरफ्तारी पर शुक्रवार को रोक लगा दी। सिद्धू ने अपनी याचिका में कहा है कि इसी आरोप में उनके विरुद्ध 2013 में भी मुकदमा हुआ था, जो विचाराधीन है और फिर उसी मामले में मुकदमा दर्ज किया गया है। नियमानुसार एक आरोप के लिये दो मुकदमे दर्ज नहीं किये जा सकते। ऐसे में 23 अक्टूबर को उनके विरुद्ध दर्ज मुकदमे को निरस्त किया जाय। पूरे मामले को सुनने के बाद वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय मिश्रा की एकलपीठ ने सिद्धू की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए उनसे जांच में सहयोग करने के लिए कहा है। सरकार से एक आरोप में दो बार मुकदमा दर्ज करने पर स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा है। अगली सुनवाई 16 नवंबर को होगी।
यह है मामला
सिद्धू ने वर्ष 2012 में मसूरी वन प्रभाग के वीरगिरवाली गांव में 1.5 हेक्टेयर जमीन खरीदी। उसी जमीन से मार्च 2013 में साल के 25 पेड़ काट दिए गए। वन विभाग की जांच में पता चला कि संबंधित पेड़ जिस जमीन पर थे वह रिजर्व फारेस्ट है। सिद्धू ने अवैध तरीके से जमीन खरीदी। साल के पेड़ भी काट दिए। इस मामले में वन विभाग ने उनपर जुर्माना लगाया। बाद में जमीन की सिद्धू के नाम की गई रजिस्ट्री भी रद कर दी गई।
वनाधिकारी की तहरीर पर हुई कार्रवाई
राजपुर पुलिस ने प्रभागीय वनाधिकारी मसूरी वन प्रभाग आशुतोष सिंह की तहरीर पर उत्तराखंड के पूर्व पुलिस महानिदेशक बीएस सिद्धू के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया है। सिद्धू पर मृत व्यक्ति के फर्जी दस्तावेज तैयार कर वन भूमि पर कब्जा करने का आरोप है। मुकदमे में पूर्व तहसीलदार समेत सात अन्य लोग भी नामजद हैं।
फर्जीवाड़े का मेरठ कनेक्शन
आरोप है कि बीएस सिद्धू ने वर्ष 2012 में पुलिस अपर महानिदेशक के पद पर रहते हुए मेरठ के अधिवक्ता दीपक शर्मा और स्मिता दीक्षित के माध्यम से उक्त भूमि के फर्जी दस्तावेज तैयार कराए और 21 मई 2012 को नत्थूराम नाम के दूसरे व्यक्ति को खड़ा कर भूमि का पंजीकरण अपने नाम पर करा लिया। इसमें दीपक शर्मा और सुभाष शर्मा गवाह बने।
पद का दुरुपयोग कर वन अधिकारियों पर दर्ज कराया मुकदमा
आरोप है कि बीएस सिद्धू ने नौ जुलाई 2013 को अपने पद का दुरुपयोग करते हुए शिकायत करने वाले वन अधिकारियों और कर्मचारियों पर दबाव बनाने के लिए थाना राजपुर में तत्कालीन प्रभागीय वनाधिकारी मसूरी डा. धीरज पांडे व अन्य कर्मचारियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करवा दिया।