उत्तराखण्ड
हाईकोर्ट ने मांगा सरकार व ईपीएफओ से जवाब।
संवादसूत्र देहरादून/नैनीताल: हाई कोर्ट ने वन विकास निगम पेंशनर्स वेलफेयर सोसायटी की पेंशन निर्धारण करने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की। वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने मामले को सुनने के बाद राज्य सरकार व कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) से चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है।
सोसायटी ने याचिका दायर कर कहा है कि उनको 2500 से 3000 हजार के बीच पेंशन दी जा रही है। उनकी पेंशन का नए सिरे से निर्धारण किया जाय। याचिका में यह भी कहा गया है कि सर्विस के दौरान 12 प्रतिशत ईपीएफ उनके सम्पूर्ण वेतन से काटा जा रहा था जबकि सरकार की तरफ से केवल 8.33 प्रतिशत ईपीएफ काटा गया। यह भी सम्पूर्ण वेतन पर से काटा जाना था। उनका जो ईपीएफ का पैंसा जमा था, उसे भी सरकार ने निकाल कर अन्य जगह निवेश कर दिया है। जिसकी वजह से उनको समय पर पेंशन भी नही मिल पा रही है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट के आरसी गुप्ता बनाम हिमाचल प्रदेश निर्णय का हवाला देते हुए कहा गया कि कर्मर्चारियों को सरकार भी उनकी सम्पूर्ण वेतन पर ईपीएफ दे। जिसे सरकार नहीं देना चाह रही है। सरकार का कहना है कि इसको लागू करने से करोड़ो रूपये का आर्थिक बोझ बढ़ेगा। इस निर्णय में सरकार ने पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट में पेश की है, जो अभी लंबित है।