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चार धामों पर यात्री संख्या निर्धारण का संयुक्त रोटेशन ने किया विरोध।

उत्तराखण्ड

चार धामों पर यात्री संख्या निर्धारण का संयुक्त रोटेशन ने किया विरोध।


संवादसूत्र देहरादून/ऋषिकेश: उत्तराखंड सरकार की ओर से चार धामों में पहुंचने वाले यात्रियों की संख्या निर्धारित कर दी गई है। परिवहन संस्थाओं ने सरकार के इस आदेश का विरोध किया है। संयुक्त रोटेशन यात्रा व्यवस्था समिति ने सरकार से बिना तैयारी इस आदेश को श्रद्धालुओं के लिए परेशानी खड़ा करने वाला बताया है।
उत्तराखंड सरकार ने बीते शनिवार को आदेश जारी कर प्रतिदिन यमुनोत्री, गंगोत्री, बदरीनाथ और केदारनाथ धाम पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या निर्धारित कर दी है। अचानक आए सरकार के इस आदेश से परिवहन कंपनियां आश्चर्य सकते हैं। विभिन्न परिवहन कंपनियों से संबंधित चार धाम यात्रा का संचालन करने वाली संयुक्त रोटेशन यात्रा व्यवस्था समिति ने इस आदेश को अव्यवहारिक बताया है।
समिति के अध्यक्ष संजय शास्त्री ने मुख्यमंत्री और पर्यटन मंत्री को पत्र भेजकर कहा की सरकार ने अचानक विभिन्न धामों में श्रद्धालुओं की संख्या निर्धारित कर दी है। अचानक लिए गए इस निर्णय से यात्रा काल में भारी अव्यवस्था फैल सकती है। इस व्यवस्था के अनुपालन के लिए कोई ठोस नीति नहीं बनाई गई है। उन्होंने कहा कि सामान्य यात्रियों के दर्शन की क्या व्यवस्था होगी यह स्पष्ट नहीं है। देश के कई प्रांतों से यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं ने पूर्व में ही रेल, बस,धर्मशाला, आश्रम और होटल बुक करा लिए हैं। सरकार के इस आदेश से उन्हें फिर से इस प्रक्रिया से गुजरना होगा।
समिति अध्यक्ष संजय शास्त्री ने कहा कि यमुनोत्री, गंगोत्री और बदरीनाथ में श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए पर्याप्त स्थान है। इतना जरूर है कि केदारनाथ में रुकने की समस्या है। इसके लिए सरकार अलग से नीति बना सकती थी। लेकिन सभी धामों के लिए संख्या का निर्धारण कर देना श्रद्धालुओं के हित में नहीं है। उन्होंने सरकार से इस निर्णय को निरस्त करने की मांग की है। टिहरी गढ़वाल मोटर आनर्स कारपोरेशन के अध्यक्ष जितेंद्र नेगी, जीएमओयू के अध्यक्ष जीत सिंह पटवाल, यातायात एवं पर्यटन विकास सहकारी संघ लिमिटेड के अध्यक्ष मनोज ध्यानी, उपाध्यक्ष नवीन चंद्र रमोला, गढ़वाल मंडल मालिक एवं चालक एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय पाल सिंह रावत, टाटा सुमो यूनियन के अध्यक्ष बलबीर सिंह नेगी ने भी सरकार के इस निर्णय को अव्यावहारिक बताया है। उन्होंने कहा कि दो वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण यात्रा वैसे ही प्रभावित हुई। परिवहन व्यवसायियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा। इस वर्ष अचानक जारी इस आदेश से यात्रा पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की है।

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