उत्तराखण्ड
माओवादी गतिविधियों के आरोपित प्रशांत राही बरी।
सँवादसूत्र देहरादून/ रुद्रपुर : जिला जज प्रेम सिंह खिमाल की अदालत ने वर्ष 2007 में माओवादी गतिविधियों में संलिप्तता के आरोप में गिरफ्तार महाराष्ट्र निवासी प्रशांत सांगलीकर उर्फ प्रशांत राही व उसकी पत्नी समेत चार आरोपितों को सबूतों के अभाव में शुक्रवार को दोषमुक्त कर दिया। पुलिस के अनुसार प्रशांत को 23 दिसंबर 2007 को हंसपुर खत्ता के जंगल से गिरफ्तार किया गया था। उसकी निशानदेही पर जंगल में बनी झोपड़ी से माओवादी साहित्य के साथ ही लैपटाप, सीडी और यूनिफार्म बरामद हुई थी, जिसे जांच के लिए हैदराबाद लैब भेजा गया था। प्रशांत के पास से आमुख पत्रिका भी मिली थी। पुलिस के अनुसार उसमें उत्तराखंड में माओवादी गतिविधियों को बढ़ाने के लिए किए गए सर्वे का विवरण दर्ज था। लेकिन ये सभी आरोप कोर्ट में सुनवाई के दौरान साबित नहीं हो सके।
प्रशांत के अधिवक्ता एडी मैसी ने बताया कि 20 दिसंबर 2007 को नानकमत्ता के जंगलों में माओवादी गतिविधियों की सूचना पर तत्कालीन एलआइयू निरीक्षक बीएल मधवाल ने मुकदमा दर्ज कराया था। इसी आरोप में प्रशांत गिरफ्तारी हुई थी। उसके बाद 29 फरवरी 2008 को टीचर कालोनी, काशीपुर निवासी दीपक पुत्र बसंत बल्लभ व नैनीताल जिले के हल्दूचौड़ निवासी गोपाल भट्ट पुत्र लक्ष्मी दत्त को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। जांच के आधार पर मानपुर पश्चिम, रामपुर रोड, हल्द्वानी निवासी प्रशांत राही की पत्नी चंद्रकला को भी चार फरवरी 2009 को गिरफ्तार कर लिया गया। बाद में चारों आरोपित जमानत पर छूट गये। इस बीच प्रशांत को महाराष्ट्र के एक अन्य मामले में गिरफ्तार कर लिया गया।वहीं, सुनवाई के दौरान सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता लक्ष्मी नारायण पटवा ने 18 गवाह पेश किये। चार जनवरी को कोर्ट ने बहस के बाद अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया। शुक्रवार को जिला जज प्रेम ङ्क्षसह खिमाल की अदालत ने साक्ष्यों के अभाव में प्रशांत राही, उसकी पत्नी चंद्रकला, दीपक व गोपाल भट्ट को सभी आरोपों से बरी कर दिया।