उत्तराखण्ड
वन आरक्षी ने ही बाघिन को मारी थी गोली।
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत केस दर्ज कर रेंज कार्यालय से किया अटैच।
संवादसूत्र देहरादून/रामनगर: कार्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) के अंतर्गत कालागढ़ वन प्रभाग के मरचूला बाजार में बाघिन को गोली वन आरक्षी धीरज कुमार ने ही मारी थी। वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत केस दर्ज कर उसे रेंज कार्यालय से अटैच कर दिया गया है। साथ ही डीएफओ कालागढ़ को पूरे मामले में जांच रिपोर्ट देने को कहा गया है।
14 नवंबर की रात मरचूला बाजार में बाघिन आ गई थी। मंदाल रेंज के वन कर्मियों ने बाघिन को जंगल की ओर भगाने के लिए हवाई फायरिंग की। मगर बाघिन घरों व दुकानों की ओर आने लगी। सीटीआर निदेशक धीरज पांडे का कहना है कि लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर वन आरक्षी धीरज सिंह ने बंदूक से दो राउंड फायर जमीन की ओर किए। जिसमें एक फायर के छर्रे बाघिन के दाहिने जांघ पर लग गए। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में छर्रे लगने से रक्तस्राव के अलावा बाघिन के शरीर मे सेही का एक कांटा भी मिला। जिसकी वजह से उसका लिवर भी संक्रमित हो गया था। इधर, बाघिन की मौत को लेकर विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। सीटीआर निदेशक धीरज पांडे ने कहा कि वन आरक्षी पर मुकदमा दर्ज कर उसे मैदानी रेंज से संबद्ध कर दिया गया है। मामले की जांच डीएफओ कालागढ़ कर रहे हैं।