उत्तराखण्ड
सवाल जरूर पूछियेगा…
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हरदेव नेगी
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इन शहरों के मकानों में
एक पीछे का कमरा होता है,
किराये का कमरा कहते हैं उसे,
जहाँ दूर गावों व अन्य शहरों से आये
हुए लड़के – लड़कियाँ कर देते हैं खुद को कैद..।।
अपने भविष्य को सँवारने की दौड़ में
उनकी जवानी ऐसे ही पीछे के
कमरों में सिमट कर रह जाती है,
वहाँ धूप नहीं आती,
मगर एक उम्मीद की किरण उनके दिलों में
जगी रहती है, एक दिन यहाँ से कुछ बनकर निकलेंगे,,,।।
वो लड़के – लड़कियाँ नहीं गये
कभी किसी के साथ डेट पर,
उनके जीवन में एक ही डेट खास थी
पेपर की डेट,,।।
उन्होनें नहीं देखी कभी कोई
सैटरडे नाइट के पबों की चकाचौंध,
उन्होंने देखी तो पेपर से पहले की वो रात
जहाँ सपनों को पूरा करने का स्लेबस
आंखों में नशे की तरह घूम रहा था,।।
वही नये गये लौंग ड्राइव पर अपने
प्रेमी प्रेमिकाओं के साथ,
लौंग ड्राइव के नाम पर वो गये तो
सिर्फ एक शहर से दूसरे शहर के परीक्षा सेंटर तक,,,।।
उनके पास नहीं थे
रोज नये कपड़े बदलने के विकल्प,
उनके पास एक ही विकल्प था
चार में से सही विकल्प चुनने वाले प्रश्न का उत्तर,,,,।।
उनके माता पिता की इतनी
हैसियत नहीं थी कि वो दिला
सकें स्कूटी बाइक अपने बच्चों को,
उनकी औकात थी सिर्फ उनके
हाथों में किताब थमाने की,,,।।
इनकी अलमारियों में नहीं थे कपड़ों के ढेर
वहाँ थे तो बस किताबों के ढेर,,,।
वो खुद बेरोजगार थे मगर किराया देकर
किसी का रोजगार चला रहे थे,,,।।
प्रेम के अफेयर के नाम पर सिर्फ करंट अफेयर नोट बुक
ही उनकी ज़िंदगी का हिस्सा था,।।
पूरी ईमानदारी, कर्तव्य निष्ठता,
पारदर्शिता के साथ वो आने वाले पेपर के
लिए परिक्षा सेंटर में बैठेते हैं,
क्या जो पेपर उनके हाथों में आया है
वो भी इतनी ही ईमानदारी से बंट रहा है?।।
क्या इन सरकारों का सिस्टम
उतनी ही पारदर्शिता व कर्तव्य निष्ठता
से उनके भविष्य के साथ है?।।
सवाल है हुक्मरानों से,
नेताओं से, अफसरों से, आयोग से, अदालतों से।।
अगर है ईमानदारी तो जवाब मिल जायेगा :-
भारत के हर शहर में गांधी पार्क होता है
जहाँ सैकड़ों लड़के – लड़कियाँ
सरकार के विरुद्ध, भ्रष्ट सिस्टम के विरुद्ध
अपने सर के बालों को मुंडवा रहे हैं,
उनके आँखों से बह रहे मेहनत के आँसुओं से पता चल जायेगा,।।
पुलिस की लाठियों से शरीर पर
पड़े घावों से पता चल जायेगा,।।
उनकी जवानी को बरबादी की तरफ धकेल रही
सत्ताधीसों के झांसों से पता चल जायेगा।।
सवाल जरूर पूछियेगा
एक बार?
।।
हरदेव नेगी गुप्तकाशी (रुद्रप्रयाग)
.
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