उत्तराखण्ड
रिखणीखाल में एक बार फिर चोरों की दहशत।
संवादसूत्र देहरादून : रिखणीखाल में चोरों का आतंक एक बार फिर शुरु हो चुका हैं। 20 वर्ष बाद पुनः चोरों ने रिखणीखाल में बड़ी वारदात को अंजाम दिया हैं। गौरतलब हो 22 जून की रात रिखणीखाल बाजार में चार दुकानों के ताले टूटे हैं। सुभाष मैंदोला बीरेन्द्र भारद्वाज महाराज सिंह व दलवीर सिंह रावत खिमाखेत वालों के दुकानों पर चोरों ने एक साथ हाथ साफ कर दिया। रात को चोरों ने सिलसिलेवार दुकानों के ताले तोड़े ओर नकदी लूट कर हजारों का सामान लूट कर दुकानों में तोड़फोड़ किया। 1 वर्ष पूर्व बएला तल्ला के मन्दिर में दानपेटी की लूट हुई थी आज तक चोर पुलिस की गिरफ्त से दूर हैं। बीते 2 वर्ष पूर्व केशर सिंह रावत छड़ियाणी के घर 6 लाख की लूट का आजतक कोई सुराग नही राजस्व पटवारी व पुलिस के मध्य बहुत बड़ी खाई बनी हैं जिस कारण वारदातों में चोर हाथ नही आते। बीते कुछ दिनों से बड़खेत के 2 गोशालाओं से बकरी चोरी होने की खबरें मिली हैं। इस तरह की घटनाओं से क्षेत्र में दहशत का माहौल बना हुआ हैं। कोटड़ी सैंण में देवेश आदमी के ज्ञान दीप पुस्तकालय का भी विगत महीने चोरों द्वारा ताला तोड़ने की कोशिश हुई किंतु चोरों को सफलता नही मिली। पूर्व में हुई चोरी के बारदातों में चोर पुलिस के हाथों से दूर रही इस लिए आज चोरों के हौंसले बुलंद हैं। सायद प्रसासन किसी बड़ी बारदात का इंतजार कर रही हैं।
आम आदमी पार्टी रिखणीखाल के ब्लॉक अध्यक्ष श्री विपिन चौहान ने इस घटना पर गहरा दुख प्रकट किया है उन्होंने खेद जताते हुए कहा कि रिखणीखाल में व्यापारियों की कोई नही सुनता। विपिन चौहान जी कहते हैं कि यदि जल्द से जल्द चोरों को नही पकड़ा गया तो पार्टी कार्यकर्ता जल्द धरना प्रदर्शन का रास्ता अख्तियार करेंगे। प्रमोद शाह थानाध्यक्ष के तबादले को अभी महज 2 दिन ही हुए थे कि चोरी की वारदात ने क्षेत्र में सनसनी मचा दिया। नए थानाप्रभारी कमलेश शर्मा के लिए यह चुनौती का समय बन गया हैं ओपनिंग में बड़ी बारदात से स्वागत होना बड़े सौभाग्य की बात हैं। चोर स्थानीय हैं या बाहरी यह बताना अभी मुश्किल हैं किंतु तोड़फोड़ व लूट से मालूम होता हैं चोरी की वारदात स्थानीय व्यक्ति द्वारा किया गया। स्थानीय दुकानदारों में दहशत बनी हुई हैं फिलहाल कोई पुख्ता जानकारी हांसिल नही हुई हैं। कोरोना काल में लगातार चोरो की घटनाओं से लोग बेरोजगारी को मुख्य वजह मान रहे हैं।
क्षेत्र के समाज सेवक देवेश आदमी का कहना है कि रिखणीखाल थाने के समीप हुई घटना दीपक तले अंधेरा जैसा लगता हैं। क्या कोई रिखणीखाल में ग्रामीणों की बात सुनने वाला नही हैं लगता हैं पुलिस शाम को गस्त करने नही जाती हैं। पहाड़ों में आराम की नोकरी करने के लिए सभी तबादले कर रहे हैं तो पुलिस पीछें क्यों रहेगी। बिना काम के पगार लेना अधिकारियों के नया दौर नही हैं। जनता त्रस्त पुलिसकर्मी मस्त।