Connect with us

दो दिवसीय 12वाँ सतत पर्वतीय विकास सम्मेलन हुआ शुरू।

उत्तराखण्ड

दो दिवसीय 12वाँ सतत पर्वतीय विकास सम्मेलन हुआ शुरू।

संवादसूत्र देहरादून : इंटीग्रेटेड माउंटेन इनिशिएटिव (आईएमआई) द्वारा आयोजित 12वें सतत पर्वतीय विकास सम्मेलन (एसएमडीएस-12) का शुभारम्भ शुक्रवार को दून विश्वविद्यालय के डॉ. दयानन्द सभागार में हुआ। दो दिवसीय इस सम्मेलन का उद्घाटन उत्तराखंड के वन, भाषा एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री श्री सुबोध उनियाल ने दीप प्रज्वलन कर किया। उद्घाटन सत्र में प्रो. अनिल कुमार गुप्ता (आईसीएआर, रुड़की), प्रो. सुरेखा डंगवाल (कुलपति, दून विश्वविद्यालय), डॉ. आई.डी. भट्ट (निदेशक, जी.बी. पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, अल्मोड़ा), आईएमआई अध्यक्ष श्री रमेश नेगी, सचिव श्री रोशन राय एवं कोषाध्यक्ष श्रीमती बिनीता शाह उपस्थित रहे।

मुख्य अतिथि उनियाल ने अपने संबोधन में कहा कि हिमालय क्षेत्र देश को लगभग 60 प्रतिशत जल उपलब्ध कराता है, फिर भी यह बार-बार जलवायु आपदाओं का सामना कर रहा है। उन्होंने इस वर्ष के मानसून में हुई भारी जन-धन हानि पर चिंता व्यक्त करते हुए प्रकृति-संलग्न और समुदाय-आधारित विकास की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी इस विकास का आधार होना चाहिए, परन्तु इसकी सफलता स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी से ही संभव है। श्री उनियाल ने उत्तराखंड की पहलों का उल्लेख करते हुए बताया कि किस प्रकार ग्रामीण बद्रीनाथ और केदारनाथ मंदिरों में अर्पण सामग्री उपलब्ध कराकर आजीविका अर्जित कर रहे हैं, साथ ही चीड़ की पत्तियाँ (पिरुल) इकट्ठा कर बेचने से आग की घटनाओं में कमी आई है। उन्होंने ईको-होमस्टे पहलों को पलायन रोकने में उपयोगी बताया और हरियाली पर्व (हरेला) के अवसर पर 50 प्रतिशत फलदार पौधों और 20 प्रतिशत वानिकी पौधों के अनिवार्य रोपण की परंपरा का उल्लेख किया। कृषि के क्षेत्र में उन्होंने बताया कि उत्तराखंड जैविक खेती में तेजी से आगे बढ़ रहा है और ब्रांडिंग व अंतर्राष्ट्रीय विपणन से किसानों को बेहतर आय मिल रही है।

मुख्य वक्ता प्रो. अनिल कुमार गुप्ता ने अपने संबोधन में कहा कि यद्यपि नीतियों में पर्यावरणीय प्राथमिकताओं का उल्लेख किया जाता है, व्यवहार में प्रकृति-संलग्न दृष्टिकोण की कमी दिखाई देती है। उन्होंने कहा कि हिमालयी क्षेत्रों में सतत विकास के लिए आधुनिक विज्ञान एवं पारंपरिक ज्ञान का समन्वय अनिवार्य है। उन्होंने धार्मिक एवं मनोरंजन पर्यटन के बढ़ते दबाव पर चिंता जताते हुए कहा कि जहाँ पर्यटन आय का साधन है, वहीं यह पहाड़ों को प्लास्टिक कचरे से पाटकर पारिस्थितिक संकट भी उत्पन्न कर रहा है। उन्होंने हिमालयी क्षेत्रों में सतत विकास हेतु आपदा प्रबंधन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रयोग, पारंपरिक ज्ञान आधारित आजीविका एवं आपदा जोखिम न्यूनीकरण, क्षमता निर्माण के माध्यम से कृषि-पर्यावरणीय पद्धतियों को बढ़ावा और नवाचार आधारित उद्यमिता को प्रोत्साहन जैसे उपाय सुझाए।

दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल ने सामूहिक प्रयासों और संस्थागत सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। आईएमआई अध्यक्ष श्री रमेश नेगी ने कहा कि हिमालय अब अनियोजित विकास का बोझ सहन नहीं कर सकता, इसलिए वैज्ञानिक और सुरक्षित विकास पथ अपनाना होगा। आईएमआई सचिव श्री रोशन राय ने संगठन की गतिविधियों पर प्रकाश डाला जबकि कोषाध्यक्ष श्रीमती बिनीता शाह ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया। कार्यक्रम की शुरुआत निति घाटी की महिलाओं द्वारा स्वागत गीत एवं दीप प्रज्वलन से हुई और मानसून आपदाओं में दिवंगत लोगों की स्मृति में दो मिनट का मौन रखा गया। उद्घाटन सत्र में लगभग 250 प्रतिभागियों—अधिकारियों, वैज्ञानिकों, किसानों एवं समाजसेवकों ने भाग लिया। सिक्किम, हिमाचल प्रदेश एवं उत्तराखंड के सुदूरवर्ती क्षेत्रों से आए महिला एवं पुरुष किसान भी सक्रिय रूप से शामिल हुए। स्थानीय उत्पादों की प्रदर्शनी भी आकर्षण का केंद्र रही। सम्मेलन के प्रथम दिवस पर तीन समानांतर सत्र आयोजित हुए, जिनमें पर्वतीय समुदायों की जमीनी समस्याओं एवं संभावित समाधानों पर चर्चा हुई।

सम्मेलन का समापन कल होगा, जिसमें उत्तराखंड विधानसभा की अध्यक्षा श्रीमती ऋतु खंडूरी प्रतिभागियों को संबोधित करेंगी और सांसद एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे।

Ad

More in उत्तराखण्ड

Trending News

Follow Facebook Page

About Us

उत्तराखण्ड की ताज़ा खबरों से अवगत होने हेतु संवाद सूत्र से जुड़ें तथा अपने काव्य व लेखन आदि हमें भेजने के लिए दिये गए ईमेल पर संपर्क करें!

Email: [email protected]

AUTHOR DETAILS –

Name: Deepshikha Gusain
Address: 4 Canal Road, Kaulagarh, Dehradun, Uttarakhand, India, 248001
Phone: +91 94103 17522
Email: [email protected]