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एक और टिहरी बना लोहारी गांव, कई घरों को रोशन करने को खुद अंधकार की गर्त में डूबा गांव।

उत्तराखण्ड

एक और टिहरी बना लोहारी गांव, कई घरों को रोशन करने को खुद अंधकार की गर्त में डूबा गांव।

आखिरकार एक और टिहरी बना लोहारी गांव,, लोहारी गांव ने बीते सोमवार शाम तक हमेशा के लिए बांध की झील में जल समाधि ले ली. जहां पर 71 से ज्यादा परिवारों का रहने वाला यह लोहारी गांव अब सिर्फ इतिहास के पन्नों में ही पड़ा और देखा जाएगा. अब यहां पर सिर्फ 35 लोग ही मौजूद है जो गांव से बमुश्किल 100 मीटर की दूरी पूर्व प्राथमिक विद्यालय में शरण लिए हुए बैठे हैं. चूंकि, ग्रामीण भी जानते हैं कि अब उनका पूरा गांव जलमग्न हो चुका है. यहां रहना अब खतरे से खाली नहीं है लेकिन फिर भी वह जमीन छोड़ना नहीं चाहते हैं।

यमुना नदी पर ग्राम जुड्डों में बनकर तैयार हुए व्यासी बांध की झील में पानी भरने का काम अब अंतिम चरण में पहुंच गया है। पानी का स्तर बढ़ने के साथ ही डूब क्षेत्र में आए लोहारी गांव में सोमवार को पानी आ गया है।  लगभग तीन बजे से गांव में पानी भरना शुरू हो गया था।

इसके बाद लगातार बढ़ते जलस्तर ने गांव के मकान, गौशाला, खेत-खलिहानों व पार्क आदि को अपने आगोश में ले लिया। उधर, परियोजना के अधिकारियों का दावा है कि देर रात तक डैम के लिए निर्धारित जलस्तर की मात्रा को सुनिश्चित कर लिया जाएगा।

बिजली उत्पादन के क्षेत्र में प्रदेेश में मील का एक नया पत्थर साबित होने वाली व्यासी जलविद्युत परियोजना के लिए बनाए गए डैम में पानी भरने का काम अंतिम चरण में पहुंच गया है। 120 मेगावाट की यह जल विद्युत परियोजना प्रदेश को बिजली की समस्या से मुक्त कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। परियोजना के लिए बनाए गए डैम में पानी भरने के दौरान डूब क्षेत्र में आए लोहारी गांव में भी आज पानी भर गया।

लोहारी गांव के लोगों को लगभग 1 हफ्ते पहले प्रशासन ने नोटिस दिया था कि गांव जल्दी जल समाधि ले लेगा.इसलिए इस गांव को सभी ग्रामीण छोड़ दें. बता दें कि 1972 में व्यासी जल विद्युत परियोजना की आधारशिला रखी गई थी. जिसके बाद यह पूरा इलाका बांध परियोजना के डूब क्षेत्र में आ गया था. सरकार ने उस समय गांव वालों को विस्थापित करने और कंपनसेशन भी दिया. ऐसे में व्यासी जल विद्युत परियोजना को सबसे पहले जेपी कंपनी ने बनाया लेकिन साल 1990 में एक पुल के टूटने के कारण यह डैम फिर से अधर में लटक गया. जिसके बाद NTPC कंपनी ने इस बांध को बनाने का ठेका लिया और लंबी जद्दोजहद के बाद यह डैम फिर से अधर में लटका रहा।

साल 2012 में उत्तराखंड में कांग्रेस सरकार आने के बाद यह डैम उत्तराखंड जल विद्युत निगम को दिया गया. हालांकि, इस परियोजना का काम लगभग पूरा काम हो चुका है और जल्द ही उत्पादन भी शुरू हो जाएगा. यही वजह है कि अप्रैल 2022 में प्रशासन ने लोहारी गांव के लोगों को नोटिस दिया कि यह गांव कब खाली कर दिया जाए. प्रशासन के नोटिस देने के बाद उत्तराखंड जल विद्युत निगम ने धीरे धीरे पानी की मात्रा बढ़ानी शुरू कर दी, जिसके बाद रविवार से डैम के झील का पानी लोहारी गांव के खेतों तक पहुंच गया।

व्यास बांध परियोजना को लेकर ग्रामीण एक दूसरे को दर्द बयां कर सांत्वना देकर अपना मन हल्का करने की कोशिश कर रहे हैं. इस बारे में स्थानीय निवासी बताते हैं कि 1972 से यह प्रोजेक्ट शुरू हुआ था लेकिन 1990 के बाद ही बंद हो गया था।

व्यासी जल विद्युत परियोजना : एक नजर में 
स्थान: लखवाड़ , जिला देहरादून ब्लॉक कालसी  
स्वामित्व : उत्तराखंड जलविद्युत निगम 
यमुना नदी पर निर्मित परियोजना
बांध की ऊंचाई : 204 मीटर (669 फीट) 
उत्पादन क्षमता 300 मेगावाट 
टरबाइन तीन (सौ-सौ मेगावाट क्षमता की)
परियोजना का कुल रकबा : 9.57 वर्ग किलोमीटर 
निर्माण आरंभ : 1987

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