उत्तराखण्ड
भारतीय सेना के शौर्य, त्याग और राष्ट्रनिष्ठा को नमन, 1971 के युद्ध के नायकों को किया सम्मानित।

संवादसूत्र देहरादून: विजय दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को गांधी पार्क, देहरादून में आयोजित श्रद्धांजलि एवं सम्मान समारोह में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर उन्होंने शहीद स्मारक पर पुष्पचक्र अर्पित कर 1971 के युद्ध में बलिदान देने वाले वीर जवानों को श्रद्धांजलि दी तथा युद्ध के सैनिकों और शहीदों के परिजनों को सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में घोषणा की कि सैनिक कल्याण निदेशालय तथा जिला सैनिक कल्याण कार्यालय—डीडीहाट, हरबर्टपुर, पिथौरागढ़ और हरिद्वार—इन पाँचों कार्यालयों को सरकारी वाहन उपलब्ध कराए जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने विजय दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि 1971 का युद्ध भारतीय सेना के अदम्य साहस, सर्वोच्च बलिदान और अटूट राष्ट्रनिष्ठा का प्रतीक है। इस ऐतिहासिक युद्ध में पाकिस्तान के लगभग 93 हजार सैनिकों ने भारतीय सेना के समक्ष आत्मसमर्पण किया। उन्होंने कहा कि वीरभूमि उत्तराखंड के 248 सपूतों ने इस युद्ध में अपने प्राण न्यौछावर किए और प्रदेश के 74 सैनिकों को उनकी वीरता के लिए विभिन्न वीरता पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय सेना को अत्याधुनिक तकनीक और स्वदेशी हथियारों से सुसज्जित किया जा रहा है। रक्षा निर्यात में भारत ने वैश्विक पहचान बनाई है और स्वदेशी मिसाइल प्रणालियों—आकाश, ब्रह्मोस एवं अन्य डिफेंस सिस्टम—ने देश की सामरिक शक्ति को विश्व पटल पर स्थापित किया है। यह नया भारत है, जो हर नापाक हरकत का सशक्त और निर्णायक जवाब देता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार सैनिकों और उनके परिवारों के कल्याण के लिए पूर्णतः संकल्पित है। शहीदों के आश्रितों को दी जाने वाली अनुग्रह राशि को 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 50 लाख रुपये किया गया है। वीरता पुरस्कारों से सम्मानित सैनिकों को दी जाने वाली एकमुश्त और वार्षिकी राशि में भी उल्लेखनीय वृद्धि की गई है। परमवीर चक्र के लिए यह राशि 1.50 करोड़ रुपये, अशोक चक्र के लिए 50 लाख रुपये, महावीर एवं कीर्ति चक्र के लिए 35 लाख रुपये तथा वीर एवं शौर्य चक्र के लिए 25 लाख रुपये निर्धारित की गई है।
उन्होंने बताया कि बलिदानियों के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने, आवेदन की समय-सीमा को 2 वर्ष से बढ़ाकर 5 वर्ष करने, नौकरी-पूर्व प्रशिक्षण, पुत्री विवाह अनुदान, पूर्व सैनिकों को निःशुल्क बस यात्रा, स्टाम्प ड्यूटी में छूट तथा देहरादून के गुनियाल गांव में भव्य सैन्य धाम के निर्माण जैसे कई निर्णय लिए गए हैं।
सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि 1971 के युद्ध में देश के लगभग 4 हजार सैनिक शहीद हुए, जिनमें उत्तराखंड के 248 जवान शामिल थे। उन्होंने कहा कि सैनिकों का सम्मान हर नागरिक का कर्तव्य है और केंद्र व राज्य सरकार मिलकर सैनिकों के कल्याण के लिए निरंतर कार्य कर रही हैं।
कार्यक्रम में विधायक खजान दास, विधायक सविता कपूर, सचिव सैनिक कल्याण दीपेंद्र चौधरी, मेजर जनरल (से.नि.) सम्मी सबरवाल, पूर्व सैनिक एवं वीरांगनाएं उपस्थित रहीं।




