उत्तराखण्ड
राष्ट्रीय पटल पर छाई उत्तराखण्ड की दो प्रतिभाएं,सृष्टि और बिट्टू को मिला राष्ट्रीय पुरस्कार।
संवादसूत्र देहरादून: 69 वाँ राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार 2023 के पुरस्कारों की घोषणा हो चुकी है। Non Feature Film Category में इस बार दो अवार्ड उत्तराखण्ड के हिस्से में आये बेस्ट नॉन फीचर फिल्म ‘एक था गाँव’ और दूसरा बेस्ट सिनेमेटोग्राफी के लिए ‘पाताल ती’ के लिए बिट्टू रावत को मिला। उत्तराखण्ड के नए सिनेमा के लिए ये एक लंबी यात्रा की एक नई शुरुआत भर है।
उत्तराखंड की बेटी सृष्टि लखेड़ा की फिल्म ‘एक था गांव’ को बेस्ट नॉन फीचर फिल्म का अवॉर्ड मिला है। सृष्टि लखेड़ा ने इस फिल्म का प्रोडक्शन और निर्देशन किया है।
उत्तराखंड के टिहरी जिले के कीर्तिनगर ब्लॉक के सेमला गांव निवासी सृष्टि (35) की फिल्म ‘एक था गांव’ इससे पहले मुम्बई एकेडमी ऑफ मूविंग इमेज (मामी) फिल्म महोत्सव के इंडिया गोल्ड श्रेणी में जगह बना चुकी है।
गढ़वाली और हिंदी में बनी इस फिल्म में पोस्ट विलेज (पलायन से खाली हो चुके गाँव की कहानी है। सृष्टि का परिवार ऋषिकेश में रहता है। सृष्टि के पिता बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. केएन लखेरा ने बताया सृष्टि 13 साल से फिल्म लाइन में हैं।
उत्तराखंड में पलायन की पीड़ा को देखते हुए सृष्टि ने फिल्म बनाई। उन्होंने बताया पहले उनके गांव में 40 परिवार रहते थे और अब पांच से सात लोग बचे हैं। लोगों को किसी कि मजबूरी मे गांव छोड़ना पड़ा।इसी उलझन को उन्होंने एक घण्टे की फिल्म के रूप में पेश किया है। फिल्म के दो मुख्य पात्र हैं, 30 वर्षीय लीला देवी और 19 वर्षीय किशोरी गोलू।
पाताल ती का फिल्मांकन बिट्टू रावत व दिव्यांशु रौतेला ने किया है। फिल्म में प्राकृतिक रोशनी का बेहतरीन उपयोग किया गया है। साथ ही कलाकारों के नाममात्र संवाद ने भी इसे खास बनाया है। फिल्म में आयुष रावत, धन सिंह राणा, कमला कुंवर, भगत बुरफाल ने मुख्य भूमिका निभाई है। फिल्म के एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर गजेंद्र रौतेला व सत्यार्थ प्रकाश शर्मा हैं।
इस फिल्म के लिए बिट्टू रावत को सिनेमेटोग्राफर का पुरस्कार मिला है।
उन्हें यह पुरस्कार भोटिया जनजाती लोक कथा पर बनी लघु फिल्म पाताल ती (होली वाटर) के लिए मिला है। यह लघु फ़िल्म तीन वर्ष पूर्व रुद्रप्रयाग व चमोली जनपद के ऊंचाई वाले में फिल्माई गई थी।
रुद्रप्रयाग के संतोष रावत के निर्देशन में स्टूडियो यूके-13 के बेनर तले निर्मित लघु फिल्म पाताल ती एक दादा पोते की कहानी है। मरणासन्न स्थिति में पड़े दादा की अंतिम इच्छा पूरी करने पोता पवित्र जल लेकर आता है। इस जल को लाने के दौरान उसे क्या क्या दिक्कत होती है।