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किन नियमों के तहत नदी भूमि को बंजर भूमि में परिवर्तन किया जा रहा है: हाई कोर्ट।

उत्तराखण्ड

किन नियमों के तहत नदी भूमि को बंजर भूमि में परिवर्तन किया जा रहा है: हाई कोर्ट।


संवादसूत्र देहरादून/नैनीताल: हाई कोर्ट ने देहरादून घाटी के ईको सेंसेटिव जोन में नदी भूमि पर अतिक्रमण कर भारी निर्माण व आइटी पार्क विकसित करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने जिलाधिकारी देहरादून व राज्य सरकार से चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने पूछा है कि किन नियमों के तहत नदी भूमि को बंजर भूमि में परिवर्तन किया जा रहा है। मामले की अगली सुनवाई के लिए कोर्ट ने चार जून की तिथि नियत की है।
वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में देहरादून निवासी अजय नारायण शर्मा व दो अन्य की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। जिनमें कहा गया है कि देहरादून घाटी में रिस्पना और बिंदाल नदी की भूमि में अतिक्रमण कर उसे बंजर भूमि दिखाकर उसमें भारी भरकम निर्माण कार्य किया जा रहा है। जिससे पर्यावरण के साथ ही नदियों के अस्तित्व को खतरा पैदा हो रहा है। याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि जलमग्न भूमि को बंजर भूमि में परिवर्तित करने के लिए भारत सरकार की अनुमति नही ली गई है। जबकि भारत सरकार के 1989 के नोटिफिकेशन में साफ कहा गया है कि भूमि परिवर्तन के लिए भारत सरकार की अनुमति लेना अनिवार्य है। वर्तमान समय में भूमि का स्वरूप बदलकर आइटी पार्क भी बनाया जा रहा है। जो देहरादून मास्टर प्लान के विरुद्ध है।

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