उत्तराखण्ड
तू हिकमत नि हार,
गढ़वाली कविता
हरदेव नेगी
स्यूं जोत कमर कस,
मिस्यो कुछ कमौंणा की सार,
अळसु छ्वोड़ मुकन्याळ जगौ,
पर तू हिकमत नि हार।।।
बांजि थाती की आस जगौ,
जांण हौळ लगौंणे कि सार,
नेसुड़ु उठौ द्वी फाड़ कर,
पर तू हिकमत नि हार।।
आखरूं कि जोत जगौ,
बगौ ज्ञान गंगा सागर
सूखी सार कूल खटौ,
पर तू हिकमत नि हार।।
अंधेरू की छांटि लगौ,
कर ऊजाळै की मारा मार,
दिवा जौत कर्मूं की बाळ,
पर तू हिकमत नि हार।।
द्वी दिन खैरी का खाऊ,
सुख की खौंण तु क्यार्,
दुख सुख सदानी रैला,
पर तू हिकमत नि हार।।
जब तलक हिमालै मा ह्यूंचळों की रलि बहार,
तब तलक धर्ति मा रैलि हैरि भैरि सार,
ऊथळ पुथल कै व्हेलि धरती मा,
पर तू हिकमत ना हार।।
लिख्वार :- @हरदेव नेगी